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बेहतर प्रबंधन व नियमित देखरेख से बढ़ेगी किसानों की पैदावार : डा. गोयल

बेहतर प्रबंधन व नियमित देखरेख फसल पर आने वाली लागत को कम और पैदावार बढ़ा देती है। वहीं

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 08:19 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 08:19 AM (IST)
बेहतर प्रबंधन व नियमित देखरेख से बढ़ेगी किसानों की पैदावार : डा. गोयल
बेहतर प्रबंधन व नियमित देखरेख से बढ़ेगी किसानों की पैदावार : डा. गोयल

बेहतर प्रबंधन व नियमित देखरेख फसल पर आने वाली लागत को कम और पैदावार बढ़ा देती है। वहीं, छोटी सी चूक बड़े नुकसान का कारण भी बन सकती है। इसलिए किसान भाई कृषि विशेषज्ञों के परामर्शानुसार फसलों में खाद, दवाई, बीज व रसायनों का प्रयोग करें। यह कहना है कृषि विज्ञान केंद्र दामला के कोर्डिनेटर डा. एनके गोयल का। खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दों को लेकर दैनिक जागरण संवाददाता संजीव कांबोज ने उनसे बातचीत की। बातचीत के अंश इस प्रकार हैं :- सवाल : दामला में कृषि विज्ञान केंद्र कब से संचालित है और किस तरह की सुविधाएं किसानों को दी जा रही हैं।

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जवाब : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्विद्यालय हिसार की ओर से 1992 में कृषि विज्ञान केंद्र खोला गया। इसका उद्देश्य खेतीबाड़ी से जुड़ी नई तकनीकों को किसानों तक पहुंचाना, उनको जागरूक कर जीवन स्तर ऊंचा उठाना व युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। सवाल : फसल तैयार करने पर आने वाली लागत बढ़ रही है। कुछ किसान खेती को घाटे का सौदा भी करार देते हैं। आपकी क्या राय है।

जवाब : यदि हम किसी भी फसल का बिजाई के समय से ही प्रबंधन करें, नई कृषि तकनीकों को अपनाएं, फसल अवशेष प्रबंधन पर ध्यान दें तो निश्चित रूप से लागत मूल्य में कमी आएगी और किसानों की आमदन बढ़ेगी। ऐसे किसानों की संख्या कम नहीं है जो बेहतर प्रबंधन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। सवाल : किसानों को फसलों की बिजाई, बीमारियों से बचाव के साथ-साथ और किस तरह की गतिविधियां केंद्र की ओर से कराई जा रही हैं।

जवाब : युवाओं को मशरूम, स्प्रे टेक्निक व मधुमक्खी व्यवसाय और महिलाओं के लिए कटिग टेलरिग जैसे व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। केंद्र की ओर से उनको व्यवसाय शुरू करने के लिए इनपुट भी मुहैया कराया जाता है। सवाल : फसल अवशेष प्रबंधन पर पूरी तरह जोर दिया जा रहा है। केवीके की ओर से क्या प्रयास हैं।

जवाब : फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर किसानों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जा रहा है। फसल अवशेषों के बीच गेहूं की बिजाई के लिए मशीनरी निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, मल्चर, कटर व अन्य कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं। अमलोहा व नगला गांव गोद लिए हुए हैं। इन गांवों में सभी किसान फसल अवशेषों का प्रबंधन करते हैं। जलाते नहीं। सवाल : गेहूं में पहली सिचाई कब तक करें और किन बातों का ध्यान रखें।

जवाब : 21 से 25 दिन के बीच गेहूं की पहली सिचाई अवश्य कर दें। इसमें देरी न करें। सिचाई से पहले खेत में पोटाश व जिक डाल दें। बाद में प्रति एकड़ एक बैग यूरिया डालें। सवाल : मंडूसी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। बचाव के लिए क्या करें।

जवाब : गेहूं की बिजाई के 30-35 दिन के अंतराल में मंडूसी से बचाव के लिए दवाई का छिड़काव करें। बाजार में कई तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं। 150-200 लीटर पानी में दवाई डालकर कट नोजल से छिड़काव करें। मौसम का विशेष रूप से ध्यान रखें। सवाल : काफी किसान ऐसे हैं जो गन्ना कटाई के बाद गेहूं की बिजाई करते हैं। कौन-कौन सी वैराइटी की बिजाई कर सकते हैं।

जवाब : किसान 1124, डीबीडब्ल्यू 173 व डब्ल्यूएच 1124 किस्म की गेहूं की बिजाई कर सकते हैं। ज्यादा पछेती बिजाई न करें। पैदावार कम रहती है।


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