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पराली जलाने से करो परहेज, चारों ओर फैला है स्मॉग

शिवालिक विद्या मंदिर सब्जी मंडी आइटीआइ के नजदीक दैनिक जागरण की ओर से पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे कार्यक्रम हुआ। विद्यार्थियों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान से अवगत कराया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 06:30 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 06:30 AM (IST)
पराली जलाने से करो परहेज, चारों ओर फैला है स्मॉग
पराली जलाने से करो परहेज, चारों ओर फैला है स्मॉग

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : शिवालिक विद्या मंदिर सब्जी मंडी आइटीआइ के नजदीक दैनिक जागरण की ओर से पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे कार्यक्रम हुआ। विद्यार्थियों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान से अवगत कराया। विद्यार्थियों के साथ स्टाफ ने शपथ थी कि वे इसके लिए किसानों को जागरूक करेंगे कि पराली नहीं जलाए। इसके प्रबंधन की उचित व्यवस्था करें। स्कूल प्रबंधक राजेश शर्मा ने दैनिक जागरण अभियान की सराहना की। इसे जनहित में बताया।

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स्कूल प्रबंधक राजेश शर्मा ने कहा कि पराली जलाने के कारण पर्यावरण प्रदूषण होता है। उपजाऊ जमीन बंजर होती है। इससे दूसरे प्रकार की गंभीर समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। इस समय चारों ओर स्मॉग फैला है। सांस लेने में लोगों को परेशानी हो रही है। ऐसे में सबकी जिम्मेदारी बनती है कि किसानों को जागरूक करें। जिससे फसल अवशेष पराली जलाने से किसान परहेज करने लगे। उनको यकीन है कि दैनिक जागरण की इस मुहिम से बदलाव जरूर होगा।

छात्रा सुस्मिता कहती है कि उनको पढ़ाया जाता है कि धुआं प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। इससे बचाव के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। इसके लिए ग्रामीणों को पराली को न जलाकर इस दिशा में अहम भूमिका निभानी होगी। वे अपने आसपास लोगों को इसके लिए संदेश देगी कि पर्यावरण बचाना है तो इसके लिए सबको आगे आना होगा

अमनजोत का कहना है कि उनको अध्यापक ने बताया था कि जिले में बड़े पैमाने पर धान की खेती भी की जाती है। काफी किसान ऐसे हैं जो पराली जलाते हैं। इससे सारे में धुआं रहता है। उन्होंने जब वे परिवार के साथ घूमने गई तो उन्होंने देखा कि एक खेत में आग लगी है। इससे सारी सड़क पर धुआं है। धुआं ज्यादा होने के कारण गाड़ी रोकनी पड़ी। उनके पीछे और भी वाहन चालक तो जिनको पांच से 10 मिनट तक रुकना पड़ा।

दामिनी कहती है कि पराली जलाने से सेहत के लिए हानिकारक धुआं निकलता है। इससे सांस के रोगी बढ़ते हैं। ये बात सब जानते हैं। जब वे बच्चे होकर जाते हैं तो बड़ों को भी पता होगी। जानने के बाद भी कई किसान ऐसे हैं जो पराली जलाने से परहेज नहीं करते। समय की मांग है कि उनको अपनी आदत में सुधार लाना होगा। तभी हम लोगों को कुछ हद तक बढ़ते प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है।


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