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धनुष टूटते ही सीता ने भगवान राम को डाली वरमाला

भगवान परशुराम सामुदायिक केंद्र गोबिदपुरी में चल रही श्रीराम कथा में कथा व्यास स्वामी इंद्रेश महाराज ने भगवान श्रीराम व सीता विवाह का प्रसंग सुनाया। इलेवन स्टार मार्निग क्लब के सदस्य माया राम शमर रेखा राकेश त्यागी मनोज त्यागी परीक्षित गौरव श्याम लाल अजय रिकू वीरेंद्र व नेक्का ने महाराज श्री को माल्यार्पण व रामायण की आरती के साथ कथा का शुभारंभ किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 09:00 AM (IST)
धनुष टूटते ही सीता ने भगवान राम को डाली वरमाला
धनुष टूटते ही सीता ने भगवान राम को डाली वरमाला

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : भगवान परशुराम सामुदायिक केंद्र गोबिदपुरी में चल रही श्रीराम कथा में कथा व्यास स्वामी इंद्रेश महाराज ने भगवान श्रीराम व सीता विवाह का प्रसंग सुनाया। इलेवन स्टार मार्निग क्लब के सदस्य माया राम शमर, रेखा, राकेश त्यागी, मनोज त्यागी, परीक्षित, गौरव, श्याम लाल, अजय, रिकू, वीरेंद्र व नेक्का ने महाराज श्री को माल्यार्पण व रामायण की आरती के साथ कथा का शुभारंभ किया।

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इंद्रेश महाराज ने बताया कि किस प्रकार यज्ञ स पन्न होने के बाद गुरु विश्वामित्र जी राम लक्ष्मण को जनकपुरी ले जाते हैं, जहां राजा जनक ने अपनी बेटी सीता के लिए स्वयंवर रचा है। इस स्वयंवर में भगवान शिव के धनुष को रखा गया है। कहा गया है कि जो भगवान शिव के इस धनुष पर प्रत्यंजा चढ़ाएगा उसी के साथ सीता जी का विवाह होगा। इस स्वयंवर में बहुत से राज कुमार आए हुए थे, लेकिन कोई भी भगवान के धनुष पर प्रत्यंजा न चढ़ा सका। इस पर राजा जनक को बहुत दु:ख हुआ और वे कहने लगे कि क्या इस पृथ्वी पर कोई भी ऐसा वीर नहीं है जो इस धनुष पर प्रत्यंजा चढ़ा सके। रुदन करते हुए सीता जी से कहा कि अब तो सीता जी को लगता है कि बिन विवाह के ही रहना पड़ेगा। लगाता है उसके भाग्य में ऐसा ही लिखा है। जैसे ही भगवान श्रीराम उन्हें उठाने लगे मौका देखकर सीता माता ने भगवान श्रीराम के गले में वर माला डाल दी। इस प्रकार भगवान श्रीराम का विवाह संपन्न हुआ। विवाह के गीत भी गाए गए। यदि पूर्ण रूप से वे श्रीराम सीता के विवाह का प्रसंग सुनाएं तो लगभग तीन दिन लग जाएंगे। भगवान श्रीराम के साथ साथ लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न का भी विवाह संपन्न हुआ। जिस समय भगवान राम व सीता ने एक दूसरे को वर माला डाली, उसके बाद महाराजा दशरथ को यह संदेश भेजा गया था। संदेश मिलते ही महाराजा दशरथ पूरी बारात के साथ जनकपुरी पहुंचे जहां पूरे विधि विधान से विवाद स पन्न हुआ। विवाह के भजनों पर श्रद्धालुओं ने जमकर आनंद उठाया।


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