भुगतान न होने से बढ़ा दर्द, आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान
गन्ने का भुगतान न होने से किसानों को आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है। किसी को परिजनों का इलाज करवाने में दिक्कत आ रही है तो किसी को बेटी की शादी के लिए पैसा चाहिए। किसानों का कहना है कि भुगतान न होने से बजट पूरी तरह बिगड़ गया है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गन्ने का भुगतान न होने से किसानों को आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है। किसी को परिजनों का इलाज करवाने में दिक्कत आ रही है तो किसी को बेटी की शादी के लिए पैसा चाहिए। किसानों का कहना है कि भुगतान न होने से बजट पूरी तरह बिगड़ गया है। न सरकार आगे आ रही है और न ही शुगर मिल प्रशासन इसको लेकर संजीदा है। टुकड़ों में पेमेंट हो रही है। किसान कई बार सड़कों पर उतर चुके हैं लेकिन समस्या ज्यों कि त्यों है।
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किसानों के दर्द की कहानी, उनकी जुबानी
सिली कलां से किसान राजेंद्र ¨सह बताते हैं कि करीब साढे़ चार लाख रुपये बकाया है। भुगतान न होने से कारण बजट बिल्कुल बिगड़ गया है। किसानों को अपनी ही फसल की पेमेंट नहीं हो रही है। मिल से जुड़े किसान आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। कर्ज की टोकरी लगातार भारी हो रही है।
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तलाकौर के किसान हरचरण ¨सह का कहना है कि बच्चों की फीस नहीं दे पा रहे हैं। राशन उधार लेकर खा रहे हैं। आखिर कब तक ऐसा चलेगा। परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों व सरकार को इस बारे में ध्यान देना चाहिए। किसानों की व्यथा को समझें और भुगतान किया जाए।
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अमलोहा के किसान रोशन लाल का कहना है कि छह लाख रुपये बकाया है। फसलों में खाद-खुराक उधार लेकर डाल रहे हैं। ऐसे किसानों की संख्या कम नहीं है जिनके आवश्यक काम अधर में पड़े हैं। किसी को मकान बनाना है तो किसी को अपनी बेटी की शादी करनी है। बिना पैसे के कैसे काम चलेगा? सरकार ध्यान दे।
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गुंदयाना के किसान रघुवीर का कहना है कि उनके पौने तीन लाख रुपये बकाया है। अपने ही पैसे के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। यदि स्थिति ऐसी ही रही तो भविष्य में किसान गन्ने की बिजाई करना छोड़ देंगे।
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किसान इंद्र पाल ने बताया कि उसका भाई कैंसर से जूझ रहा है। पैसे की कमी इलाज में बाधा बन रही है। इस समय उनके लिए एक-एक रुपया कीमती है। मिल प्रशासन से गुहार लगाई जा चुकी है लेकिन कोई सुनने का तैयार नहीं है। ऐसे और भी किसान हैं, जिनकी कोई न कोई मजबूरी है।
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किसान निर्मल ¨सह ने बताया कि अगले माह उसके बेटे की शादी है। गन्ने का भुगतान न होने के कारण आर्थिक तंगी बढ़ गई है। तीन लाख रुपये से अधिक बकाया है। यदि भुगतान हो जाए तो उसकी ¨चता कम हो जाएगी। सरकार को किसानों की मजबूरी समझनी चाहिए।