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सर्वे में 275 से बढ़कर 337 हुई पशु डेयरी, शहर से बाहर शिफ्ट करने में अधिकारियों को दिखाना होगा दम

यमुनानगर शहर में डेयरियों की संख्या घटने के बजाए बढ़ गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 07:40 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 07:40 AM (IST)
सर्वे में 275 से बढ़कर 337 हुई पशु डेयरी, शहर से बाहर शिफ्ट करने में अधिकारियों को दिखाना होगा दम
सर्वे में 275 से बढ़कर 337 हुई पशु डेयरी, शहर से बाहर शिफ्ट करने में अधिकारियों को दिखाना होगा दम

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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शहर में डेयरियों की संख्या घटने के बजाए बढ़ गई। इसका खुलासा नगर निगम की ओर से हाल ही में हुए सर्वे में हुआ है। डेयरियों की संख्या 275 से बढ़कर अब 337 हो गई है। 18 साल से डेयरियां को शहर के बाहर निकालने के लिए कितना काम चल रहा है। यह सर्वे का आंकड़ा बयां कर रहा है। अधिकारियों को दिखाना होगा कि डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने की उनकी कितनी इच्छा शक्ति है। क्योंकि अभी तक तो वह इस काम में फेल नजर आ रहे हैं। अधिकारी व कर्मचारी ज्यादा बदले : निगम के आंकड़ों के हिसाब से 18 साल में 75 डेयरियां शहर से बाहर की गई। आंकड़े के हिसाब से इस समय में डेयरियों से ज्यादा तो अधिकारी व कर्मचारी बदल गए। पार्षद निर्मला चौहान व देवेंद्र सिंह का कहना है कि अधिकारियों ने बातों के सिवा किया कुछ नहीं किया। यदि काम किया होता तो आज शहर के नाले, सीवरेज पशुओं के गोबर से जाम न हो रहे होते। हल्की बरसात में शहर जलमग्न हो जाते हैं। लोगों का सामान खराब हो रहा है। वह भी व्यवस्था को कोस कर रह जाते हैं। अधिकारी कोई बात नहीं सुनते। निगम क्षेत्र में खुली हैं 700 डेयरियां : बिल्डिग ब्रांच द्वारा एक साल पहले कराए सर्वे में पता चला था कि नगर निगम में करीब 700 पशु डेयरियां चल रही हैं। एक-एक डेयरी में न्यूनतम पांच व अधिकतम 20 से 25 गाय, भैंस हैं। जगाधरी व यमुनानगर शहर में ही 275 डेयरियां थी। जिनमें से 75 डेयरियां डेयरी कांप्लेक्स में शिफ्ट की गई हैं। नगर निगम का गठन करते समय 50 गांवों को शहर में शामिल किया गया था। इन गांवों को भी जोड़ लें तो निगम में डेयरियों की संख्या 700 तक पहुंच जाती हैं। कांप्लेक्स पर करोड़ों खर्चे, डेयरी फिर भी शहर में : नगर निगम ने चार डेयरी कांप्लेक्स दड़वा, रायपुर, औरंगाबाद व कैल में बनाए थे। जिन पर करोड़ों रुपये खर्च जा चुके हैं। इसके बावजूद डेयरियां शहर में चल रही हैं। डेयरी कांप्लेक्स में अभी भी सुविधाओं का अभाव है। रोजाना सफाई नहीं होती। पशुओं का सारा गोबर नालों में बहाया जाता है। बरसात होते ही नाले ओवरफ्लो हो जाती हैं। दड़वा कांप्लेक्स की हालत तो इतनी खराब है कि जैसे बरसात से गांव के कच्चे रास्ते में कीचड़ हो जाता है इससे ज्यादा यहां की सड़कों पर गोबर फैल जाता है। वर्ष 2001 में अब तक दड़वा में 20 एकड़ जमीन खरीदने के लिए 77 लाख 75902 रुपये, सड़कों, बिजली, नालियों पर 89.57 लाख रुपये खर्च किए। यहां 241 प्लाट हैं। रायपुर में 56.52 लाख रुपये से नौ एकड़ पांच कनाल जमीन खरीदी। सड़कों, बिजली, स्ट्रीट लाइट पर 51.65 लाख रुपये खर्चे। यहां 115 में से 105 आबंटित हो चुके हैं। औरंगाबाद में 58.84 लाख से नौ एकड़ दो कनाल जमीन खरीद गई। विकास कार्यों पर 42.54 लाख रुपये खर्चे गए। वहीं कैल में करीब 50 लाख से 12 एकड़ 19 मरले जमीन खरीदी गई। 50 लाख विकास कार्यों पर खर्च हुए। 337 डेयरी मिली हैं : अनिल नैन निगम के चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर अनिल नैन ने बताया कि सर्वे में 19 वार्डों में 337 डेयरी मिली हैं। वार्ड 2, 7 व 8 में कोई डेयरी नहीं है। जल्द ही सभी डेयरियां डेयरी कांप्लेक्स में शिफ्ट किया जाएगा। गंभीर स्थिती है : दड़वा में 160 डेयरियां शिफ्ट हुई थी। सुविधाएं नहीं मिलने पर इनमें से 70 डेयरियां शहर में वापस चली गई है। यहां पर सरकारी नलकूप डेढ़ साल से खराब है। अस्पताल में डाक्टर का पद भी रिक्त है। कई दफा मांग करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही।


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