कचरे का निपटान करने में अलीपुरा गांव पेश कर रहा मिसाल
कचरे का निपटान करने में अलीपुरा गांव मिसाल पेश कर रहा है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
कचरे का निपटान करने में अलीपुरा गांव मिसाल पेश कर रहा है। पहले जहां गलियों में जगह-जगह गंदगी फैली रहती थी। अब वहां चकाचक है। इसकी वजह यह है कि ग्राम पंचायत की ओर से गांव में कचरा शैड बनाया गया है। अलग से कर्मचारी लगाया गया है, जो घर-घर से कचरा एकत्र करता है। इस कचरे को शैड में डाला जाता है। वहां पर सेग्रीगेशन के बाद उसका निस्तारण किया जाता है। अब यह लोगों की आदत में शामिल हो चुका है। वह घरों के बाहर कचरा नहीं फेंकते।
सरपंच रामकुमार ने बताया कि पहले गलियों में जगह-जगह पॉलीथिन व अन्य कचरा पड़ा रहता था। इसकी वजह से नालियां भी जाम रहती थी। पानी सड़कों पर फैलता था। लोगों को समझाया, लेकिन बात नहीं बनी। वर्ष 2018 में गांव में कचरा शेड बनाया गया। ग्रामीणों से आह्वान किया गया कि वह कचरे को शैड में डाले। कुछ ग्रामीणों ने इसकी महत्ता समझी और कचरा यहां डालना शुरू कर दिया, लेकिन सभी लोगों ने इसे नहीं अपनाया। बाद में एक कर्मचारी लगाया गया। जो सुबह व शाम को घर-घर से रेहड़ी में कचरा एकत्र करता है। उसे शेड में डालता है। अब लोग अपने घर में ही बाल्टी या कूड़ादान में कचरा एकत्र करते हैं और उसे रेहड़ी में डाल देते हैं। ग्रामीणों से इसके लिए कुछ पैसा भी लिया जा रहा है। 20 से 50 रुपये तक ग्रामीणों से लिया जा रहा है। इसमें किसी को भी कोई दिक्कत नहीं आती। गांव में स्वच्छता का फायदा भी लोगों को है। यदि गांव में सफाई होगी, तो लोग बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहेंगे। गांव में 185 घर हैं। जहां से हर रोज करीब एक क्विंटल कचरा एकत्र होता है। इसे शैड में डाला जाता है। पानी भी सड़कों पर न बहे। इसके लिए सीवरेज डाला गया है। गांव में सामूहिक शौचालय भी बनाए गए हैं। इसके अलावा तालाबों में साफ पानी रहे। इसके लिए सोकता गड्ढे बनाए गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के को-ऑर्डिनेटर बलिद्र कटारिया ने बताया कि अलीपुरा गांव मॉडल की तरह है। यहां पर लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हैं। अब गांव के लोगों को गंदगी से बीमारियां फैलने का खतरा नहीं है। खुले में लोगों ने कचरा फेंकना छोड़ दिया गया है। इसी तरह से जिले में कई अन्य गांव भी यह पहल कर चुके हैं।