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तीन साल बाद विज्ञापन की 24 साइटों के होंगे टेंडर, दूर होगी निगम की आर्थिक तंगी

तीन साल बाद अब नगर निगम की साइटों के टेंडर किए जाने का निर्णाय हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 07:52 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 07:52 AM (IST)
तीन साल बाद विज्ञापन की 24 साइटों के होंगे टेंडर, दूर होगी निगम की आर्थिक तंगी
तीन साल बाद विज्ञापन की 24 साइटों के होंगे टेंडर, दूर होगी निगम की आर्थिक तंगी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : तीन साल बाद अब नगर निगम की साइटों के टेंडर किए जाने का निर्णय लिया गया है। निगम एरिया में कुल 24 साइटें हैं। पालिसी न बन पाने के कारण टेंडर नहीं हो पाए थे। जिसके चलते शहर में अवैध रूप से होर्डिंग लगते रहे हैं। निगम एरिया में यूनिपोल, बस क्यू शेल्टर व सार्वजनिक शौचालयों पर अब अवैध रूप से किसी भी तरह का विज्ञापन नहीं हो सकेगा। निगम को सलाना मोटा राजस्व आने के साथ-साथ विज्ञापन के अवैध धंधे पर भी रोक लग सकेगी। हालांकि हाउस की बैठक में कई बार यह मुद्दा उठा है, लेकिन अधिकारियों ने भी गंभीरता से नहीं लिया। इन साइटों से एक भी रुपये की आमदन नहीं हुई जबकि पूर्व में प्रति वर्ष करोड़ों रुपये की आमदन होती है।

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नगर निगम अधिकारियों की अनदेखी के चलते तीन साल से निगम की साइट पर अवैध रूप से होर्डिंग्ज लगाने का खेल चल रहा है। निगम की ओर से इसका टेंडर नहीं किया गया। बावजूद इसके साइटों पर विभिन्न कंपनियों के विज्ञापन लगे हुए देखे जा सकते हैं। तीन साल की इस अवधि में निगम को करीब 47 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। दूसरी ओर नगर निगम आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। सरकार निगम के साधनों से आमदन बढ़ाने पर जोर दे रही है। इस मामले की शिकायत गत माह शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज को भी की जा चुकी है। लक्ष्य निर्धारित करते रहे अधिकारी

तीन साल से विज्ञापन की साइटों के लिए टेंडर तो नहीं हुआ, लेकिन निगम अधिकारी हर वर्ष लक्ष्य जरूर तय करते रहे हैं। बेशक आमदन जीरो हुई हो। वर्ष-2015-16 में दो करोड़, 2016-17 में 50 लाख, 2017-18 में 50 लाख, 2018-19 में एक करोड़, 2019-20 में 50 लाख व 2020-21 में 27 लाख रुपये का लक्ष्य रखा गया है। हर साइट का रेट अलग

नगर निगम एरिया में विज्ञापन की हर साइट के लिए अलग-अलग रेट निर्धारित किया गया है। इसका कारण अधिक से अधिक आमदन जुटाना है। यदि विज्ञापन साइट पाश एरिया में है तो उसका रेट अधिक होगा। जबकि पहले ऐसा नहीं था। सभी साइटों के रेट समान होते रहे हैं। इसके अलावा निजी प्रतिष्ठान या दुकान पर किसी तरह के विज्ञापन के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ेगा। इसकी 10 हजार रुपये रजिस्ट्रेशन फीस है जबकि डिस्पले फीस अलग से निर्धारित है। निगम अधिकारियों के मुताबिक चौक, डिवाइडर, स्ट्रीट लाइट व बिजली के पोल पर किसी भी तरह का होर्डिंग या बैनर नहीं लगाया जा सकता। अन्य जगह भी निर्धारित मापदंडों के मुताबिक ही विज्ञापन बोर्ड लगाए जा सकते हैं। विज्ञापन की 24 साइट के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद हैं जल्दी ही टेंडर खुल जाएंगे। इसमें पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाएगी। हमारा प्रयास है कि विभिन्न साधनों से निगम की अधिक से अधिक आमदन हो।

अशोक कुमार, डिप्टी म्युनिसपल कमिश्नर, नगर निगम।


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