लोगों को आवाज बुलंद करने की ताकत दे रहे एडवोकेट यशपाल शर्मा
नागरिकों को किसी भी मामले में अपने मन की अभिव्यक्ति प्रस्तुत करने का अधिकार संविधान ने दिया है।
तंत्र के गण कॉलम
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
नागरिकों को किसी भी मामले में अपने मन की अभिव्यक्ति प्रस्तुत करने का अधिकार संविधान ने दिया है। लोगों को इसके बारे में जागरूक करने का कार्य एडवोकेट यशपाल शर्मा बखूबी कर रहे हैं। वह ऐसे लोगों की आवाज अदालत के माध्यम से उठाते हुए तंत्र के गण बने हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से जुड़कर वह सात सालों से लोगों को उनके अधिकारों के बारे में बता रहे हैं।
गांव से लेकर स्कूल व कॉलेजों में सेमिनार के जरिए वह लोगों को जागरूक करते हैं। चाहे वह यातायात नियम हो या फिर रेडक्रॉस के नियम हो। सभी के बारे में वह लोगों को जानकारी देते हैं। उनका जोर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने पर रहता है। एडवोकेट यशपाल शर्मा का कहना है कि बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानते। इसी वजह से वह प्रताड़ित होते हैं। उन्हें नहीं पता होता कि संविधान ने सभी के लिए अधिकार दिए हैं। कोई भी अपनी बात रख सकता है। साथ ही अदालत के माध्यम से आवाज उठा सकता है। इसके लिए वह कॉलेजों व गांवों में लगाए जाने वाले कैंपों में जाते हैं। उन्हें निशुल्क कानूनी सहायता से लेकर पूरी जानकारी दी जाती है।
कई दंपतियों में करा चुके सुलह
एडवोकेट यशपाल शर्मा कई दंपतियों के बीच विवादों में भी सुलह करा चुके हैं। दंपतियों के बीच विवाद छोटी-छोटी बातों पर होता है। ससुराल वालों की गलती की वजह से घर टूटते हैं। ऐसे में जरूरी है कि महिला के अधिकारों के बारे में बताया जाए। दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने में भी यह कारगर होता है, क्योंकि जब एक पक्ष को अपने अधिकारों के बारे में पता लगता है, तो दूसरा पक्ष विवाद की स्थिति में नहीं रहता।
बंदियों से लेकर बच्चे तक का अधिकार :
एडवोकेट शर्मा बताते हैं कि बच्चे से लेकर बंदी तक का अधिकार है। इसके लिए भी जेलों में लगे शिविरों में जाते हैं। वहां पर बंदियों से बात करते हैं। कुछ ऐसे भी बंदी होते हैं, जिन्हें कोई वकील नहीं मिलने की वजह से जेल से बाहर नहीं आ पाते। ऐसे बंदियों को वह पूरी जानकारी देते हैं। साथ ही बताते हैं कि सभी को अपनी बात रखने का हक है। बंदी भी वकील के माध्यम से अपनी बात अदालत में रख सकता है। इसके लिए भी वह निशुल्क सहायता करते हैं।