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श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मिलती प्रेरणा : आचार्य जयप्रकाश

फर्कपुर के श्री सिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया। कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें भागवत को सिर पर लेकर संजीव गोस्वामी आगे चले। उनके पीछे महिलाएं सिर पर कलश लेकर चली। कथा के शुभारंभ पर आचार्य पंडित वीरेंद्र प्रसाद ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गणेश वंदना व भागवत पुराण पूजन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 07:40 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 07:40 AM (IST)
श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मिलती प्रेरणा : आचार्य जयप्रकाश
श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मिलती प्रेरणा : आचार्य जयप्रकाश

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : फर्कपुर के श्री सिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया। कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें भागवत को सिर पर लेकर संजीव गोस्वामी आगे चले। उनके पीछे महिलाएं सिर पर कलश लेकर चली। कथा के शुभारंभ पर आचार्य पंडित वीरेंद्र प्रसाद ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गणेश वंदना व भागवत पुराण पूजन किया। गणपति पूजन के साथ भागवत कथा का आरंभ किया गया। उसमें सर्वप्रथम भगवत महाम्य, फिर परीक्षित श्राप व शुकदेव जन्म का वर्णन किया गया। इस दौरान प्रवचन करते हुए आचार्य जयप्रकाश महाराज ने कहा कि पूरे मनोयोग के साथ कथा श्रवण मात्र से मनुष्य के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन होते हैं। श्रीमद्भागवत में तमाम ऐसी कथाएं हैं, जो हमें प्रेरणा देती है और कलयुग में जीवन को कलात्मक ढंग से जीने का मार्ग प्रशस्त करती है। मानव जन्म पाकर मनुष्य अमृत पी ले और उसके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं हो, तो उस अमृत पीने का कोई लाभ नहीं। राहु ने भी अमृत पिया और अमर हो गए, लेकिन उसके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं होने के कारण उसे कोई लाभ नहीं मिला। वहीं धुंधकारी जैसे पापी भी कथामृत श्रवण करने मात्र से मोक्ष को प्राप्त किए। भागवत कथा अमृत सामान है तभी मोक्ष प्राप्ति के लिए राजा परीक्षित अपने जीवन के अंतिम सात दिन कथामृत श्रवण कर बिताया और पुण्य के भागी बने और उन्हें भी मोक्ष मिला। अमृत पीने मात्र से कुछ नहीं होता, बल्कि अमृतपान से अमरत्व होने के बाद भी हमारे जीवन की सार्थकता जीवमात्र के लिए क्या है, यह महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर मंदिर कमेटी के प्रधान अमरजीत लाल शर्मा, सतीश मनकट, धर्मेंद्र सिंह, महाबीर सिंह, जगतराम, चरनजीत आदि भी मौजूद रहे।

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