400 मेडिकल लैब संचालक रहे हड़ताल पर, शहर में निकाला रोष मार्च
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल लैब पर एमबीबीएस चिकित्सक की नियुक्ति के आदेश के विरोध में जिले के 400 मेडिकल संचालक हड़ताल पर रहे। सभी ने सिविल अस्पताल के बाहर सड़क किनारे बैठकर धरना दिया। सरकार से इन आदेशों को वापस लेने की मांग करते हुए दोपहर को प्यारा चौक से सिविल अस्पताल तक रोष मार्च भी निकाला। बता दें कि इस संदर्भ में एक दिन पूर्व संचालकों ने डीसी को मांग पत्र भी सौंपा था।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल लैब पर एमबीबीएस चिकित्सक की नियुक्ति के आदेश के विरोध में जिले के 400 मेडिकल संचालक हड़ताल पर रहे। सभी ने सिविल अस्पताल के बाहर सड़क किनारे बैठकर धरना दिया। सरकार से इन आदेशों को वापस लेने की मांग करते हुए दोपहर को प्यारा चौक से सिविल अस्पताल तक रोष मार्च भी निकाला। बता दें कि इस संदर्भ में एक दिन पूर्व संचालकों ने डीसी को मांग पत्र भी सौंपा था।
यूनियन के जिला प्रधान जगजीत ¨सह के नेतृत्व में सभी तकनीशियन सिविल अस्पताल के मुख्य द्वार के नजदीक टेंट में एकत्र हुए। जहां शाम तक धरना दिया। हड़ताल के कारण हजारों की संख्या में मरीजों को परेशानी हुई। प्राइवेट की हड़ताल से सिविल अस्पताल की प्रयोगशाला पर सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक भीड़ जुटी। जिला प्रधान ने बताया कि सरकार ने क्लीनिकल लैब पर एमबीबीएस चिकित्सक के नियुक्त होने के आदेश जारी किए थे। नए आदेशों से संचालकों में हड़कंप मचा रहा। वर्ष 2017 में भी लैब तकनीशियन इसके विरोध में हड़ताल कर चुके हैं। फिर से विभाग की ओर से शिकंजा कसे जाने पर एकजुट हुए और सरकार के आदेशों के खिलाफ हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया। जिले में कुल 400 लैब चल रही हैं जिनमें से 22 को नोटिस दिया जा चुका है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक 338 लैब ऐसी हैं जिनपर पैथोलॉजिस्ट व एमबीबीएस नहीं हैं।
इसलिए हो रहा विरोध
यूनियन प्रधान के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी की ओर से जारी निर्देशों के मुताबिक पैथ लैब पर एमबीबीएस या एमडी का होना जरूरी है। ये ही रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकेंगे। इन आदेशों का सभी विरोध जता रहे हैं।
बढ़ जाएंगे टेस्ट के दाम
लैब पर एमबीबीएस की अनिवार्यता होने से टेस्ट बढ़ जाएंगे। इसका असर मरीज की जेब पर पड़ेगा। इसको लेकर लैब संचालक पहले विरोध कर चुके हैं। उसके बाद भी सरकार ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। ये पॉलिसी लागू होने के बाद हजारों लैब संचालक बेरोजगार हो जाएंगे। एमबीबीएस की पहले से ही कमी है। इनकी नियुक्ति लैब पर करना संभव नहीं है। अगर वे ऐसा करते हैं तो जांच रिपोर्ट के दाम बढ़ेंगे। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।