40 हजार कारोबारियों को ट्रेड लाइसेंस से राहत
नगर निगम क्षेत्र में किसी भी तरह का काम करने वाले कारोबारियों को ट्रेड लाइसेंस के भार से मुक्ति मिल जाएगी। ये लाभ 42 हजार से अधिक कारोबारियों को मिलेगा। ट्रेड लाइसेंस खत्म करने के लिए काफी समय से आवाज उठ रही थी। शनिवार को चंडीगढ़ में सीएम हाउस में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सातों नगर निगमों के मेयर को बुलाया।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
नगर निगम क्षेत्र में किसी भी तरह का काम करने वाले कारोबारियों को ट्रेड लाइसेंस के भार से मुक्ति मिल जाएगी। ये लाभ 42 हजार से अधिक कारोबारियों को मिलेगा। ट्रेड लाइसेंस खत्म करने के लिए काफी समय से आवाज उठ रही थी। शनिवार को चंडीगढ़ में सीएम हाउस में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सातों नगर निगमों के मेयर को बुलाया। इसमें ट्रेड लाइसेंस समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सीएम ने सहमति जता दी है। हालांकि मीट समेत चार तरह के काम करने वालों को इससे राहत नहीं मिलेगी। वहीं, मेयरों की पावर पर अभी तक सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। ये होता है ट्रेड लाइसेंस :
ट्रेड लाइसेंस उन लोगों को लेना होता है जो नगर निगम एरिया में कारोबार करते हैं। लाइसेंस के बदले निगम को निर्धारित फीस चुकानी होती है। यह लाइसेंस केवल एक साल के लिए मिलता है। हर साल 1 अप्रैल से नए सत्र के साथ ट्रेड लाइसेंस का भी नवीनीकरण कराना होता है, जिसके लिए हर साल शुल्क चुकाना पड़ता है। नगर निगम की ओर से ट्रेड लाइसेंस की 90 से ज्यादा कैटेगरी तय की गई हैं। फीस का स्लैब कारोबार के हिसाब से अलग है। सबसे अधिक फीस वाहनों के शोरूम, एयर कंडीशन मैरिज हाल, कोचिग सेंटर, बैंक्वेट हॉल, मल्टीप्लेक्स, नर्सिंग होम, कपड़ों के शोरूम, निजी अस्पताल, होटल, मॉल्स पर पड़ता है। व्यापारी महेंद्र मित्तल व संजय का कहना है कि ये तो अच्छा फैसला है। ट्रेड लाइसेंस में फीस के अलावा काफी पेचीदगी थी। जल्द से इसको लागू करना चाहिए। 500 वर्ग गज की जमीन दे सकेगा निगम :
मेयर मदन चौहान ने बताया कि सीएम के समक्ष ट्विनसिटी को स्मार्ट-सुंदर व स्वच्छ बनाने के प्रोजेक्ट रखे। इस दौरान उन्होंने नगर निगम हाउस को दस करोड़ रुपये के विकास कार्य करवाने की पॉवर देने की भी मांग रखी। जिस पर सभी नगर निगमों के मेयर ने सहमति जताई। बैठक में शहर के कई मुद्दों पर चर्चा हुई। निगम कमिश्नर की पावर भी एक करोड़ से बढ़ाकर ढाई करोड़ कर दी गई है। पहले हाउस की पावर ढाई करोड़ रुपये खर्च करने की थी। 500 वर्ग गज की जमीन देने पर निगम फैसला ले सकता है। लीज की पावर 20 साल के लिए बढ़ाई जा सकती है। ब्याज में 50 प्रतिशत की माफी :
नगर निगम को दुकानदार लंबे समय से दुकानों का किराया नहीं दे रहे हैं। ऐसे दुकानदारों के किराए पर लगने वाले ब्याज में 50 प्रतिशत छूट देने की सीएम ने मंजूरी दी ताकि दुकानदार अपना किराया जमा करा सकें। दुकानदारों पर निगम का तीन करोड़ रुपये से ज्यादा किराया बकाया है। सबसे ज्यादा राहत मीरा बाजार के दुकानदारों को मिलेगी। इनकी काफी समय से किराए में छूट की मांग थी। शहर में कुत्तों व सुअरों की भरमार है। कुत्तों की नसबंदी के साथ बंदरों और सुअरों को पकड़वाने के लिए अलग से बजट तैयार होगा। शहर से बाहर होंगी डेयरी व नॉनवेज विक्रेता :
शहर में जितनी भी पशु डेयरियां चल रही हैं उन्हें बाहर शिफ्ट किया जाएगा। जिनके पास जमीन नहीं है उन्हें निगम जमीन उपलब्ध कराएगा। जिन लोगों ने डेयरी कांप्लेक्स में प्लाट ले रखे हैं और काम शुरू नहीं किया उनके प्लाटों को जब्त किया जाएगा। शहरी एरिया में दड़वा, कैल, औरंगाबाद में डेयरी कांप्लेक्स हैं। यहां सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। इसके अलावा सड़क किनारे जितने भी नॉनवेज बेचने वाले ठेले हैं उनका शहर से बाहर प्रबंध किया जाएगा। सड़कों पर कच्चा मीट न बिके इसके लिए स्लाटर हाउस बनाए जाएंगे। वेस्ट एनर्जी, हर वार्ड में एक जेई देने समेत कई मुद्दों पर सीएम मनोहर लाल से मेयर ने बात की। इन मुद्दों पर भी हुई बात :
नगर निगम द्वारा कराए जाने वाले कार्यक्रमों के लिए प्रदेश सरकार अब अलग से फंड नहीं देगी। इसके लिए बजट का इंतजाम निगम अधिकारियों को खुद करना होगा। इसके लिए कमिश्नर व मेयरों को निगम की आमदनी बढ़ाने पर जोर देने को कहा है। दुकानों की सबलेट दूसरे व्यक्ति के नाम करने पर हो इस पर भी विचार किया जाएगा। वहीं ग्राउंड फ्लोर व प्रथम तल के लिए अब कलेक्टर रेट अलग-अलग देना होगा। ग्राउंड फ्लोर का कलेक्टर रेट 60 व प्रथम तल का 40 प्रतिशत के हिसाब से देना होगा।