स्टेट के लिए प्रस्तावित : अवैध खनन के खिलाफ आंदोलन का बजा बिगुल, विरोध में उतरे 22 गांव
यमुना नदी में अवैध खनन, ओवर लोड व खनन की आड़ में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ 22 गांवों के लोगों ने आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। किसान मजदूर विकास संघर्ष समिति का गठन कर बुधवार को गुमथला अनाज मंडी में महापंचायत हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि क्षेत्र में किसी भी सूरत में अवैध नहीं होने दिया जाएगा। इसका समर्थन करने वालों का मुंह काला किया जाएगा। महापंचायत की मौजूदगी में संघर्ष समिति के 11 सदस्यों ने हथेली में यमुना जल लेकर अवैध खनन के खिलाफ पारदर्शिता से आवाज बुलंद करने शपथ ली।
जागरण संवाददाता यमुनानगर : यमुना नदी में अवैध खनन, ओवर लोड व खनन की आड़ में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ 22 गांवों के लोगों ने आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। किसान मजदूर विकास संघर्ष समिति का गठन कर बुधवार को गुमथला अनाज मंडी में महापंचायत हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि क्षेत्र में किसी भी सूरत में अवैध नहीं होने दिया जाएगा। इसका समर्थन करने वालों का मुंह काला किया जाएगा। महापंचायत की मौजूदगी में संघर्ष समिति के 11 सदस्यों ने हथेली में यमुना जल लेकर अवैध खनन के खिलाफ पारदर्शिता से आवाज बुलंद करने शपथ ली। उन्होंने कहा कि इस मुहिम से अब न हटेंगे और न बिकेंगे।
महापंचायत की अध्यक्षता करते हुए रामकुमार संधाला व एडवोकेट वरयाम ¨सह ने कहा कि हथनीकुंड बैराज से लेकर दिल्ली तक बह रही पवित्र यमुना नदी को माफिया ने मोटी कमाई का जरिया बना लिया है। नियमों को ताक पर रखकर दिनरात अवैध खनन किया जा रहा है। 9.7 फुट खोदाई की अनुमति है, लेकिन 40-50 फुट तक खोदाई हो रही है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है और भूमि कटाव भी बढ़ गया। गुमथला क्षेत्र की सैकड़ों एकड़ जमीन यमुना के आगोश में समा चुकी है। किसान को अपनी ही जमीन से रेत उठाने का अधिकार नहीं है। पीड़ित किसानों को जमीन का मुआवजा तक नहीं दिया जाता। जिन किसानों का नाम कल तक बड़े जमींदारों में था, वे आज कंगाल हो चुके हैं। दो जून की रोटी के लिए मोहताज हैं, जबकि उनकी जमीन से खोदाई कर रेत माफिया मोटी कमाई कर रहा है। महापंचायत के दौरान ग्रामीणों ने एकजुट होकर अवैध खनन न होने देने व खनन ठेकेदारों को रास्ता न देने का भी निर्णय लिया गया। नंबरदार शिव कुमार संधाला ने कहा कि अवैध खनन व भ्रष्टाचार से जुड़े तमाम सबूत प्रशासन को दिए जा चुके हैं। इसमें संलिप्त अधिकारियों को तुरंत प्रभावित के साथ निलंबित किया जाए। अब तक हुए बाढ़ बचाव कार्यों की जांच करवाई जाए। बाढ़ से बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं और पीड़ित किसानों को आर्थिक सहायता दी जाए।