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18 साल बाद फिर से नगरपालिका का हुआ गठन

कस्बे स्थानीय निकाय विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के माध्यम से साढौरा नगरपालिका का गठन कर दिया गया है। इस तरह 18 साल पुराने पंचायत प्रशासन को खत्म कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 11:27 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 11:27 PM (IST)
18 साल बाद फिर से नगरपालिका का हुआ गठन
18 साल बाद फिर से नगरपालिका का हुआ गठन

संवाद सहयोगी, साढौरा : कस्बे स्थानीय निकाय विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के माध्यम से साढौरा नगरपालिका का गठन कर दिया गया है। इस तरह 18 साल पुराने पंचायत प्रशासन को खत्म कर दिया गया है। सरकार की ओर से जल्दी ही नगरपालिका के सचिव के अलावा बाकी स्टाफ की नियुक्ति किए जाने की संभावना है। उसके बाद ही यहां नगरपालिका चुनावों के लिए वार्ड बंदी व वोट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।

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कस्बावासियों ने किया स्वागत

कस्बावासियों ने नगरपालिका गठित किए जाने का स्वागत करते हुए इसे दिवाली का तोहफा करार दिया है। मनोज कालड़ा, सचदेव चुघ, सूरज ओबराए, कुलविन्द्र ¨सह चड्ढा, अमित सेतिया, पंकज चुघ, राजन अरोड़ा, अवध बिहारी व गगन गर्ग आदि ने इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि नगरपालिका का गठन होने से अब कस्बे का आधुनिक तौर पर विकास होगा।

किसी गांव को शामिल नहीं किया

प्रदेश सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में नगरपालिका का गठन करते हुए इसमें केवल कस्बे के हदबस्त नंबर 155 के क्षेत्र को शामिल किया गया है। इससे पूर्व भी नगरपालिका के कार्यकाल में यही सीमा थी। इस बार चर्चा थी कि सरकार आसपास के गांव नौशहरा, शामपुर, कनीपला, पांडों, सैदूपुर व टिब्बड़ी में से कुछ गांवों को नगरपालिका में शामिल कर सकती है, लेकिन किसी अदालती विवाद या ग्रामीणों की नाराजगी से बचने के लिए सरकार ने इससे परहेज किया।

यह रहा अतीत

कस्बे की नगरपालिका व लाहौर की नगरपालिका का गठन एक ही नोटिफिकेशन से हुआ था। इस नगरपालिका को बहाल करने व भंग करने का खेल मार्च 2000 में शुरू हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सरकार ने नगरपालिका को भंग कर पंचायत का गठन किया था। इसके बाद अगस्त 2002 में हुए पंचायत के पहले चुनावों में राजकुमार राणा कस्बे की पंचायत के पहले सरपंच चुने गए थे। अप्रैल 2006 में भूपेंद्र ¨सह हुड्डा की सरकार ने इस निर्णय को पलटते हुए पंचायत को भंग कर फिर से नगरपालिका का गठन कर दिया, लेकिन इसके विरोध में कस्बे में आंदोलन शुरू हो गया। पंचायत बहाली की मांग को लेकर कस्बावासियों ने राजनेताओं व अधिकारियों को मांगपत्र देने के अलावा बाजार तक बंद करवाया, लेकिन हुड्डा सरकार अपने निर्णय पर अडिग रही और विरोध के बावजूद फरवरी 2007 में नगरपालिका चुनावों की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। 2 मार्च 2007 को होने वाले नगरपालिका चुनाव के लिए नामांकन पत्र दायर करने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इसी दौरान 28 फरवरी को आए आदेशों के अनुसार नगरपालिका चुनाव रद कर पंचायत बहाल कर दी गई।


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