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Haryana Govt School: जनसहयोग के मंत्र से बदल रहे सरकारी स्कूलों की तस्वीर

Haryana Govt School Rejuvenation सोनीपत के जिला शिक्षा अधिकारी बिजेंद्र नरवाल ने बताया कि बसौदी गांव के ग्रामीणों ने अच्छी पहल की है। विभाग भी हमेशा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत रहता है। एसएमसी द्वारा नर्सरी व केजी की कक्षाएं शुरू कराई गई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 06:37 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 06:39 PM (IST)
Haryana Govt School: जनसहयोग के मंत्र से बदल रहे सरकारी स्कूलों की तस्वीर
विभाग की तरफ से हरसंभव सहयोग मिलेगा।

यजुवेंद्र मेहरा, सोनीपत। Haryana Govt School Rejuvenation जहां चाह, वहां राह। हरियाणा के गांव बसौदी के ग्रामीणों ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है। गांव बसौदी के राजकीय प्राथमिक पाठशाला की रंगत ग्रामीणों ने जनसहयोग से पूरी तरह बदल दी है। निजी स्कूलों की तरफ आकर्षित होने वाले अभिभावकों के लिए यह स्कूल एक उदाहरण है कि सरकारी स्कूलों का भी कायाकल्प हो सकता है। ग्रामीणों ने अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और उनका शैक्षणिक आधार मजबूत करने के लिए सरकारी स्कूल में नर्सरी व केजी कक्षाएं आरंभ करने की पहल की है। चंदा एकत्रित कर स्कूल में अलग से चार कमरे बनवाए गए हैं और अपने ही खर्च पर ग्रामीणों ने पांच शिक्षकों की भी नियुक्ति की है।

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दरअसल, बसौदी की राजकीय प्राथमिक पाठशाला को सरकार ने माडल संस्कृति स्कूल का दर्जा दे दिया। माडल संस्कृति स्कूल में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होती है, लेकिन सरकारी नियमानुसार यहां पढ़ाई पहली कक्षा से शुरू होती है। ऐसे में ग्रामीणों को अपने बच्चों को शुरुआत से ही अंग्रेजी के साथ शैक्षणिक आधार मजबूत करने के लिए निजी स्कूलों का रुख करना पड़ता था।

निजी स्कूल मोटी फीस वसूलते हैं और सभी ग्रामीणों के लिए यह संभव नहीं था। इसे देखते हुए ग्रामीणों ने स्कूल प्रबंधन समिति (एसएससी) और पाठशाला के मुख्य अध्यापक के समक्ष अपनी समस्या रखी तो उन्होंने कुछ बदलाव करने के सुझाव दिए। इसके बाद ग्रामीणों ने आपस में चंदा एकत्रित कर करीब 30 लाख रूपये खर्च करके चार कमरे, सीढिय़ां बनाने के साथ अन्य सुविधाएं बढ़ाकर नर्सरी और केजी की कक्षा शुरू कराई। शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल में तीन शिक्षक नियुक्त हैं, लेकिन नर्सरी और केजी के लिए अतिरिक्त शिक्षक की आवश्यकता थी। इस पर ग्रामीणों ने अपने ही खर्च पर स्कूल में पांच शिक्षक नियुक्त किए। इन शिक्षकों को प्रतिमाह करीब 35 हजार रुपये वेतन ग्रामीण चंदा एकत्र करके देते हैं। इसके लिए गांव के प्रत्येक घर से चंदे के रूप में राशि एकत्रित की जाती है। ग्रामीणों के प्रयासों को देखते हुए सरकार ने भी स्कूल में स्मार्ट बोर्ड आदि लगवाए हैं।

नर्सरी व केजी में पढ़ते हैं 95 बच्चे: इस स्कूल में फिलहाल गांव के 95 बच्चे नर्सरी व केजी में पढ़ते हैं। केजी के बाद इसी स्कूल में इनका दाखिला पहली कक्षा में हो जाएगा। फिलहाल पाठशाला में 202 बच्चों का दाखिला है। अभी और बच्चे दाखिला लेने के लिए पहुंच रहे हैं। बच्चों की संख्या बढऩे के कारण स्कूल में कमरे और शिक्षकों की आवश्यकता होगी, इसके लिए सरकार से ग्रामीण मदद की मांग कर रहे हैं।

बसौदी के राजकीय प्राथमिक पाठशाला के मुख्य अध्यापक महेंद्र कौशिक ने बताया कि ग्रामीणों की इच्छा थी कि स्कूल में निजी विद्यालयों की तरह सुविधाएं दी जाएं। इसलिए ग्रामीणों ने प्रबंधन समिति से अपने स्तर पर सुविधाएं बढ़ाने के लिए कहा था। समिति ने भी उत्साह दिखाया और ग्रामीणों के साथ मिलकर स्कूल में सुविधाएं बढ़ाईं। प्रत्येक ग्रामीण ने इसमें सहयोग दिया और इसका फायदा यह हुआ कि सभी ग्रामीण स्कूल से जुड़ गए। स्कूल को अपना मानकर इसकी बेहतरी के लिए कार्य कर रहे हैं।

बसौदी के राजकीय प्राथमिक पाठशाला के एसएमसी प्रधान आनंद कुमार ने बताया कि प्राइवेट स्कूल में फीस अधिक है। इन स्कूल में पढऩे वाले बच्चों से गरीब परिवार के बच्चे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाते हैं। इसलिए समिति ने सरकारी स्कूल को ही ऐसा स्कूल बनाने की सोची थी, जिसमें शुरुआत से ही अंग्रेजी पढ़ाई जाए। मुख्याध्यापक महेंद्र कौशिक से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने कई सुझाव दिए। समिति ने ग्रामीणों से चर्चा तो सभी तन, मन और धन से सहयोग करने के लिए तैयार हो गए।


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