Move to Jagran APP

प्रीतम ने खेल के जरिए बेटियों को बनाया स्वावलंबी

जागरण संवाददाता, सोनीपत भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान अर्जुन अवार्डी प्रीतम सिवाच प्रशिक्षक के रूप में बेहतर सेवा देकर जिले में महिला हॉकी खिलाड़ियों को निखारने के लिए वर्षों से प्रयासरत हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 06:13 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 06:13 PM (IST)
प्रीतम ने खेल के जरिए बेटियों को बनाया स्वावलंबी
प्रीतम ने खेल के जरिए बेटियों को बनाया स्वावलंबी

जागरण संवाददाता, सोनीपत : भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान अर्जुन अवार्डी प्रीतम सिवाच प्रशिक्षक के रूप में बेहतर सेवा देकर जिले में महिला हॉकी खिलाड़ियों को निखारने के लिए वर्षों से प्रयासरत हैं। महिला हॉकी को ऊंचाई पर ले जाने के लिए वह जी-जान से जुटी हुई हैं। उनसे प्रशिक्षण लेकर कई लड़कियां भारतीय महिला टीम का हिस्सा बनकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रोशन कर चुकी हैं।

loksabha election banner

प्रीतम ने विशेषकर जरूरतमंद परिवारों की लाडलियों को उत्कृष्ट प्लेटफार्म मुहैया कराया है। हॉकी में प्रदेश की सबसे पहली अर्जुन अवार्डी प्रीतम सिवाच सोनीपत में 15 वर्ष से हॉकी केंद्र चला रही हैं। वह अभी तक 50 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला खिलाड़ी दे चुकी हैं। उनका मानना है कि गंभीरता से प्रयास हो तो महिला हॉकी जल्द ही बुलंदी को छू सकती है। प्रीतम बेशक देश को ओलंपिक का पदक नहीं दिला सकी थीं, लेकिन अपने इसी सपने को साकार करने के लिए वह जिले में हॉकी की बेहतरीन पौध तैयार करने में लगी हैं। उनसे प्रशिक्षित नेहा गोयल ने हाल ही में हुई एशियन गेम्स में भारत को रजत दिलाने में अहम भूमिका अदा की है। वह मानती हैं कि आने वाले वर्षों में भारतीय महिला हॉकी टीम में सोनीपत से कई लड़कियां शामिल होंगी व देश को ओलंपिक पदक दिलाने में कामयाबी हासिल करेंगी। उनका कहना है कि खेल के बलबूते पर नई पहचान बनाई जा सकती है। अपने सपने को साकार करने के लिए वह दिन-रात कड़ी मेहनत करती हैं।

15 वर्षों से दे रही हैं प्रशिक्षण

प्रीतम सिवाच कहती हैं कि उनकी दिल से इच्छा है कि देश को महिला हॉकी में ओलंपिक पदक मिले। इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने सोनीपत के औद्योगिक क्षेत्र में लड़कियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया था। वह 2004 से लड़कियों को प्रशिक्षण दे रही हैं। फिलहाल उनके पास 130 लड़कियां प्रशिक्षण लेने आ रही हैं, जिसमें करीब 30 खिलाड़ी तो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की हैं। खेल के जरिए बेटियों को बनाया स्वावलंबी

प्रीतम ने खेल के जरिए उन लड़कियों को भी स्वावलंबी बनाया जो ग्रामीण क्षेत्र से आती हैं और जिनका घर से बाहर निकलना साधारण बात नहीं माना जाता है। जिस समय उन्होंने लड़कियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया था तो कुछ गिनती की लड़कियों ने ही रूचि दिखाई थी। गांव के लोग अपनी बेटियों को खेल के मैदान में भेजना ही नहीं चाहते थे। मगर प्रीतम की मेहनत व जज्बे को देखते हुए एक वर्ष बाद ही तस्वीर बदलने लगी और अब शहरी क्षेत्र से लेकर गांव की लड़कियां भी रूचि दिखाने लगी हैं। वर्तमान में ऐसी सैकड़ों बेटियां हैं, जिन्होंने सिर्फ खेल के कारण ही अपने सपने तो पूरे किए ही, इसी के साथ उनमें अपनी बात रखने का आत्मविश्वास आया और वह स्वावलंबी बनकर दूसरों के लिए भी उदाहरण बनकर सामने आई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.