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मासूमों को मिलेगी बस्तों के बोझ से मुक्ति

अमित कौशिक, सोनीपत स्कूलों में पहली से दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों के लिए स्कूल बैग की वेट कैटेगरी नए सिरे से निर्धारित कर दी गई है। अब पहली से दूसरी कक्षा के बच्चे के बस्ते का भार डेढ किलो से अधिक नहीं हो सकता। वहीं दसवीं कक्षा के विद्यार्थी का बस्ता पांच किलो से अधिक नहीं होना चाहिए। मगर फिलहाल स्थिति उलट है। जिलेभर के अधिकतर मासूम बच्चे बस्तों के बोझ तले दबे हुए हैं, जिस ओर स्कूल प्रबंधन का ध्यान नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 05:44 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 05:44 PM (IST)
मासूमों को मिलेगी बस्तों के बोझ से मुक्ति
मासूमों को मिलेगी बस्तों के बोझ से मुक्ति

अमित कौशिक, सोनीपत

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स्कूलों में पहली से दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों के लिए स्कूल बैग की वेट कैटेगरी(भार वर्ग) नए सिरे से निर्धारित कर दी गई है। अब पहली से दूसरी कक्षा के बच्चे के बस्ते का भार डेढ़ किलो से अधिक नहीं हो सकता। वहीं दसवीं कक्षा के विद्यार्थी का बस्ता पांच किलो से अधिक नहीं होना चाहिए। मगर फिलहाल स्थिति उलट है। जिलेभर के अधिकतर मासूम बच्चे बस्तों के बोझ तले दबे हुए हैं, जिस ओर स्कूल प्रबंधन का ध्यान नहीं है।

राज्य सरकार से लेकर केंद्र स्तर से स्कूल बैग के भार से संबंधित दिशानिर्देश जारी होते रहते हैं। बच्चों को स्कूल में केवल जरूरी विषयों की किताबें लाने संबंधी निर्देश जारी होने के बावजूद अधिकतर स्कूल इस ओर गंभीरता नहीं दिखाते। मगर हाल ही में बस्तों के भार को लेकर मद्रास हाई कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने शिक्षा विभाग को सख्त गाइडलाइन लागू करने के निर्देश जारी किए। अब प्रदेश शिक्षा विभाग ने सभी राजकीय व निजी स्कूलों के लिए कक्षावार बस्तों का भार निर्धारित करने के लिए सभी जिला व खंड स्तर के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को नहीं मिलेगा होमवर्क

पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को किसी भी प्रकार का होमवर्क नहीं दिया जाएगा। इसी के साथ इन कक्षाओं के बच्चों पर भाषा व गणित के अलावा कोई अन्य कोई विषय नहीं थोपा जाएगा। वहीं तीसरी से पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए भाषा, गणित व ईवीएस के अलावा अन्य विषय अनिवार्य नहीं किया जाएगा। भारी बस्तों से झुक रहे मासूमों के कंधे

अक्सर देखा जाता है कि अधिकतर स्कूल तो मुख्य विषयों के साथ ही अन्य गतिविधियों के लिए भी बच्चों के स्कूली बैग पर अतिरिक्त बोझ बनाए हुए हैं। समय-दर-समय होने वाले कई शोध व सर्वे भी यह साबित कर चुके हैं कि भारी स्कूली बस्तों के कारण मासूमों के कंधे झुक रहे हैं। वहीं कमर व रीढ़ की हड्डी से संबंधित रोग होने का भी खतरा रहता है। इससे बचने के लिए प्रदेश शिक्षा विभाग ने अभी संज्ञान तो लिया है मगर देखने वाली बात यह है कि इन निर्देशों का पालन कितनी गंभीरता से हो पाता है।

कक्षा अनुसार बस्तों का अधिकतम बोझ, किलो में

कक्षा निर्धारित भार

पहली से दूसरी 1.5

तीसरी से पांचवीं 3

छठी से सातवीं 4

आठवी से नौवीं 4.5

दसवीं 5 शिक्षा विभाग की ओर से स्कूली बच्चों के बस्तों का भार निर्धारित किया गया है, जिसे सभी स्कूलों को पालन करना होगा। स्कूलों में केवल जरूरी किताबें ही मंगवाई जाएं। पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाएगा।

- नवीन गुलिया, खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी


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