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अंग्रेजी के मुकाबले ¨हदी में कार्य करना सरल : डॉ. वैदिक

- राष्ट्र भाषा प्रसार समिति के सौजन्य से ¨हदी दिवस के उपलक्ष्य में डीसीआरयूएसटी में हुआ कार्यक्रम - कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने ¨हदी को बढ़ावा देने की ली शपथ, जल्द ही ¨हदी में होगी विश्वविद्यालय की वैबसाइट जागरण संवाददाता, सोनीपत : संस्कृत भाषा की गम धातु से दो लाख शब्द बन सकते हैं। संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता का मुकाबला विश्व की कोई भी भाषा नहीं कर सकती। इसी भाषा की बेटी ¨हदी है, जिसकी अपनी कई खासियतें हैं। अंग्रेजी की अपेक्षा ¨हदी में कार्य करना सरल व सुगम है और इसमें समय और परिश्रम दोनों कम लगते हैं। यह बात प्रख्यात ¨चतक एवं पत्रकार डॉ. वेदप्रकाश वैदिक ने ¨हदी दिवस की पूर्व संध्या पर दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 06:08 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 06:08 PM (IST)
अंग्रेजी के मुकाबले ¨हदी में कार्य करना सरल : डॉ. वैदिक
अंग्रेजी के मुकाबले ¨हदी में कार्य करना सरल : डॉ. वैदिक

जागरण संवाददाता, सोनीपत : संस्कृत भाषा की गम धातु से दो लाख शब्द बन सकते हैं। संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता का मुकाबला विश्व की कोई भी भाषा नहीं कर सकती। इसी भाषा की बेटी ¨हदी है, जिसकी अपनी कई खासियतें हैं। अंग्रेजी की अपेक्षा ¨हदी में कार्य करना सरल व सुगम है और इसमें समय और परिश्रम दोनों कम लगते हैं। यह बात प्रख्यात ¨चतक एवं पत्रकार डॉ. वेदप्रकाश वैदिक ने ¨हदी दिवस पर दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही।

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¨हदी दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्र भाषा प्रसार समिति के सौजन्य से हुए कार्यक्रम के दौरान डॉ. वैदिक ने कहा कि अगर अंग्रेजी के साथ ¨हदी को रखेंगे तो अंग्रेजी महारानी रहेगी और ¨हदी नौकरानी बनी रहेगी। उन्होंने ¨हदी की अलग पहचान बनाने पर जोर देते हुए कहा कि वह किसी विदेशी भाषा के विरोधी नहीं है, बल्कि वह अंग्रेजी के वर्चस्व के विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वही राष्ट्र विश्व की शक्तियां बने हैं, जिन्होंने सारे कार्य अपनी भाषा में किए। जब तक हम ज्ञान, विज्ञान और तकनीक को स्वभाषा में नहीं करेंगे, तब तक हम विश्व शक्ति नहीं बन सकते। डॉ. वैदिक ने कहा कि ¨हदी भाषा के संस्कार अपने बच्चों में बचपन से ही डालिए, ताकि उनके अंदर भी राष्ट्र भाषा के प्रति प्रेम बना रहे। इसके बाद कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने लोगों को संकल्प कराया कि वह अपने हस्ताक्षर स्वभाषा में ही करेगें। कार्यक्रम में मौैजूद लोगों ने नामपट्ट, निमंत्रण पत्र के साथ ही अपने व्यवसाय में भी स्वभाषा के प्रयोग करने की शपथ ली। डॉ. अनायत ने बताया कि ¨हदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए डीसीआरयूएसटी जल्द ही विश्वविद्यालय की वैबसाइट ¨हदी में लांच करेगा। इस मौके पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ¨हदी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. महेश गुप्ता व डॉ. शिव कुमार खंडेलवाल ने भी ¨हदी विषय पर अपने विचार प्रकट किए।


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