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कार्बन नैनो ट्यूब्स से कम हो सकता है बिजली लाइनलास

मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका ने अपना शोध कार्य पूरा किया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 07:01 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 07:01 PM (IST)
कार्बन नैनो ट्यूब्स से कम हो सकता है बिजली लाइनलास
कार्बन नैनो ट्यूब्स से कम हो सकता है बिजली लाइनलास

जागरण संवाददाता, सोनीपत : मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी) के भौतिक विज्ञान विभाग में प्रतिनियुक्त प्राध्यापिका डा. दीपा शर्मा ने कार्बन नैनो ट्यूब्स में सैद्धांतिक शोध किया है। उन्होंने कार्बन नैनो ट्यूब डाइमर के आणविक कंपन के रहस्यों को नवीनतम सैद्धांतिक शोध में उजागर किया है। उनके अनुसार शोध में पाया कि कार्बन नैनो ट्यूब्स के माध्यम से बिजली ट्रांसमिशन लाइनलास को कम किया जा सकता है। साथ ही इससे इलेक्ट्रानिक व आप्टिकल डिवाइसिस की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

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डा. दीपा ने सैद्धांतिक शोध में सुझाव दिया है कि अगर कार्बन नैनो ट्यूब्स को सुपरकंडक्टिंग पदार्थों के समीप लाया जाता है तो उनमें भी सुपरकंडक्टिंग गुण पैदा हो जाते हैं। इससे कार्बन नैनो ट्यूब्स के विशिष्ट इलेट्रिक्ल, मैकेनिकल और आप्टिकल गुणों के कारण उनके अंदर सुपरकंडक्टिंग गुणों का विकसित होना अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयाम है। इस तकनीक का प्रयोग करके भविष्य में ऊर्जा के प्रचार व प्रसार के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होने की संभावनाएं उत्पन्न हुई हैं। यही ही नहीं कार्बन नैनो ट्यूब्स के विन्यास में अन्य अणुओं के नियोजन से विभिन्न इलेक्ट्रानिक व आप्टिकल डिवाइसिस की कार्य क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है।

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नैनो तकनीक भविष्य की तकनीक है। नैनो तकनीक का हमें सदुपयोग मानव कल्याण के लिए करना चाहिए। शोध किसी भी विश्वविद्यालय का आधार होता है। विश्वविद्यालय के शोध कार्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलना गौरव की बात है। हमें शोध करते समय हमें पर्यावरण और मानव कल्याण को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए

- प्रो. राजेंद्रकुमार अनायत, कुलपति, डीसीआरयूएसटी, मुरथल।


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