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किसान आंदोलन से कैद हुए 40 गांवों के लोगों ने मांगी रिहाई

किसानों के आंदोलन के चलते बार्डर क्षेत्र के 40 से ज्यादा गांवों के लोग डेढ़ महीने से कैद होकर रह गए हैं। ये कहीं बाहर नहीं जा पा रहे हैं। गांवों से दूध और सब्जी तक को बाहर ले जाने की व्यवस्था नहीं हैं। उद्योग-धंधे ठप हो गए हैं और श्रमिकों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 10:40 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 10:40 PM (IST)
किसान आंदोलन से कैद हुए 40 गांवों के लोगों ने मांगी रिहाई
किसान आंदोलन से कैद हुए 40 गांवों के लोगों ने मांगी रिहाई

जागरण संवाददाता, सोनीपत : किसानों के आंदोलन के चलते बार्डर क्षेत्र के 40 से ज्यादा गांवों के लोग डेढ़ महीने से कैद होकर रह गए हैं। ये कहीं बाहर नहीं जा पा रहे हैं। गांवों से दूध और सब्जी तक को बाहर ले जाने की व्यवस्था नहीं हैं। उद्योग-धंधे ठप हो गए हैं और श्रमिकों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर आवागमन के एक लेन खुलवाने की मांग की। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेजा है।

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ग्रामीणों ने बताया कि वह कुंडली क्षेत्र में बार्डर एरिया के गांवों के रहने वाले हैं। वहां हाईवे पर तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान सिघु बार्डर पर 50 दिनों से धरनारत हैं। इस क्षेत्र के करीब 40 गांवों के सरपंचों व प्रतिनिधियों ने उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों व सरपंचों ने बताया कि आंदोलन वाले किसानों ने हाईवे को बिल्कुल बंद कर दिया है। इससे उनके गांवों के आवागमन के रास्ते भी बंद हो गए हैं। एक किमी के सफर के लिए ग्रामीणों को 20-30 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

धरने पर आने वाले किसान बड़े-बड़े वाहनों पर तेज डीजे बजाकर हंगामा करते चलते हैं। इससे गांवों में अव्यवस्था की स्थिति बन गई है। इनके वाहनों-ट्रैक्टरों व जेसीबी की टक्कर से भैरां गांव में दर्जनों मकानों में दरार आ गई हैं। गांव के लोगों के साथ पंजाब के युवा बदसलूकी करते हैं। सरपंचों का आग्रह है कि वह जीटी रोड की कम से कम एक तरफ खुलवाने की कोशिश करे, जिससे उनका आवागमन शुरू हो सके। ज्ञापन देने वालों में चरन सिंह सरपंच, मोनू सरपंच, सोहनलाल, राजेश कुमार, राकेश कुमार, जसवीर सिंह के नेतृत्व में अटेरना, सेरसा, जांटी, दहिसरा, घटकड़, बाजीपुर, नांगलकला, अटेरना, पवसरा, जखौली, नाथूपुर व सबौली के प्रतिनिधि मौजूद रहे। उद्योगपतियों और ट्रांसपोर्टरों ने सुरक्षा मांगी

ट्रक आपरेटर्स, बस आपरेटर्स, टेंपो आपरेटर्स व ट्रांसपोर्ट कंपनियों के साथ ही उद्योगपति भी डरे हुए हैं। मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में इनका आरोप है कि किसानों और सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। समझौता वार्ता का हल नहीं निकल रहा है। ऐसे में धरने पर बैठे लोग कुछ भी गैरकानूनी कदम उठा सकते हैं। इससे क्षेत्र के ग्रामीण, वाहन और उद्योग धंधे प्रभावित होंगे। हमको सुरक्षा का भरोसा दिया जाए। सरपंच यूनियन के प्रवक्ता मोनू सरपंच ने कहा कि हमारा किसानों के आंदोलन से कोई विरोध नहीं है। हम केवल इतना चाहते हैं कि हमारे मानवाधिकार व मौलिक अधिकारों की रक्षा हो। क्षेत्रीय राजपूत संघ के पदाधिकारी व हरियाणा पुलिस से सेवानिवृत्त चरन सिंह चौहान ने कहा कि हम बुधवार को होने वाली किसान और सरकार की वार्ता के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं। यदि धरना समाप्त नहीं होता है तो हम सुप्रीम कोर्ट का द्वार खटखटाएंगे। कल सिघु बार्डर पर धरने में हिस्सा लेंगे वन कर्मचारी व श्रमिक

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के आह्वान पर 20 जनवरी को कुंडली स्थित सिघु बार्डर पर चल रहे किसान धरने में वन कर्मचारी व श्रमिक हिस्सा लेंगे। इसके लिए उन्होंने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। यह जानकारी वन कर्मचारी संघ हरियाणा के उप महासचिव आनंद शर्मा, जिला प्रधान भगत सिंह, सह सचिव नरेंद्र कालीरमन, सोनीपत रेंज के प्रधान मुकेश शर्मा व दर्शना देवी ने संयुक्त रूप से दी। उन्होंने केंद्र सरकार से किसान आंदोलन को लंबा खींचने की बजाय तीनों कृषि कानूनों तुरंत रद करने की मांग भी की।


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