कोरोना काल में नहीं मानी हार, समूह बनाकर सिखा रहीं हॉकी
मनुष्य अपने जीवन में अगर लक्ष्य को निर्धारित कर कठोर मेहनत करके आगे बढ़े तो उसके लिए कोई भी चुनौती मुश्किल नहीं होती। वह उन चुनौतियों को न केवल आसानी से निपटकर अपनी मंजिल को आसानी से पार करता है बल्कि अन्य लोगों के लिए भी आदर्श बन जाता है।
भूपेंद्र धुरान, सोनीपत
मनुष्य अपने जीवन में अगर लक्ष्य को निर्धारित कर कठोर मेहनत करके आगे बढ़े तो उसके लिए कोई भी चुनौती मुश्किल नहीं होती। वह उन चुनौतियों को न केवल आसानी से निपटकर अपनी मंजिल को आसानी से पार करता है, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी आदर्श बन जाता है। यही मिसाल भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच बनी हुई हैं। उन्होंने जहां कोरोना काल में हार न मानकर अपने आप को फिट रखा, वहीं अपनी शिष्या खिलाड़ियों को भी हॉकी के गुर सिखाए। अब अनलॉक में खिलाड़ियों को समूह बनाकर हॉकी सिखा रही हैं।
प्रीतम सिवाच का जन्म गुरुग्राम के पास के गांव झाड़सा में हुआ था। उन्होंने पांच वर्ष की उम्र में गांव के ही स्कूल में हॉकी खेलना शुरू किया था। उनका मार्गदर्शन पीटीआइ ताराचंद ने किया। गांव से खेल की शुरुआत करते हुए प्रीतम भारतीय महिला हॉकी टीम कप्तान तक पहुंची। इस दौरान उन्होंने न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर तक कई पदक जीते, बल्कि 2008 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक भी दिलाया। प्रीतम सिवाच हॉकी में अर्जुन अवार्ड हासिल करने वाली देश की प्रथम महिला रह चुकी हैं। अब वह सोनीपत में अकादमी चला रही हैं। यहां वह बतौर कोच 150 से अधिक खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रही हैं। इनकी शिष्या नेहा गोयल समेत पांच खिलाड़ी वर्तमान में देश की महिला हॉकी टीम में शामिल हैं। लॉकडाउन में खिलाड़ियों दी ऑनलाइन ट्रेनिग
प्रीतम सिवाच शहर के इंडस्ट्रियल एरिया और सेक्टर-4 स्थित खेल मैदान में महिला खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देती हैं। लॉकडाउन से पहले सुबह-शाम प्रशिक्षण शिविर के अलावा समय-समय पर प्रतियोगिताएं भी कराई जा रही थी। इसके बाद मार्च में जब लॉकडाउन लगा तो उन्होंने इस दौरान घर पर रहकर खिलाड़ियों को ऑनलाइन तरीके से हॉकी के गुर सिखाए। उन्हें फिट रहने के लिए विभिन्न गतिविधियां करवाईं। यही नहीं घर में रहकर खिलाड़ी खेल न छोड़ दे, उन्होंने टेस्ट भी शुरू किए। इससे खिलाड़ियों का उत्साह बरकरार रहा। अब समूह बनाकर सिखा रहीं गुर
कोरोना काल के बीच खिलाड़ी खेल को निरंतर जारी रखे, इसके लिए अब प्रीतम सिवाच ने ग्रुप बना दिए हैं। हर रोज सब जूनियर, जूनियर और सीनियर के तीन बैच लगाए जा रहे हैं। प्रत्येक बैच में 10-15 खिलाड़ी शामिल होते हैं। ये बैच इंडस्ट्रियल एरिया और सेक्टर-4 स्थित खेल मैदान में सुबह-शाम चल रहे हैं। इससे पहले खिलाड़ियों का मैदान में थर्मल स्कैनिग और सैनिटाइजर कराने के बाद ही प्रवेश कराया जा रहा है।
फिट रहना हर मनुष्य के लिए जरूरी है। अगर हम फिट है तो किसी भी बीमारी या अन्य परिस्थिति से लड़ सकते हैं। इसी धारणा के साथ उन्होंने कोरोना काल में अपने साथ ही खिलाड़ियों को फिट रखा। खिलाड़ी प्रशिक्षण से पीछे न हटे, इसके लिए उनके टेस्ट भी लिए गए। टेस्ट में सभी खिलाड़ी पास मिली और अब वे मैदान पर मेहनत कर रही हैं।
- प्रीतम सिवाच, पूर्व कप्तान, भारतीय महिला हॉकी टीम