जिले के स्कूलों में चलेगा हेलमेट को पहचानो अभियान
परिवहन प्राधिकरण और पुलिस ने सड़क सुरक्षा को विशेष अभियान चलाने की तैयारी की है। इस अभियान के ब्रांड एंबेसडर होंगे स्कूली बच्चे। इसके लिए प्रत्येक स्कूल में एक-एक अध्यापक को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जागरण संवाददाता, सोनीपत: परिवहन प्राधिकरण और पुलिस ने सड़क सुरक्षा को लेकर विशेष अभियान चलाने की तैयारी की है। इस अभियान के ब्रांड एंबेसडर होंगे स्कूली बच्चे। इसके लिए प्रत्येक स्कूल में एक-एक अध्यापक को विशेष प्रशिक्षण देकर सड़क सुरक्षा डेस्क बनाई जाएगी। इससे एक ओर जहां बच्चे खुद सुरक्षा का महत्व समझ सकेंगे, वहीं अपने परिवार के लोगों और मित्रों को भी इससे अवगत कराएंगे। बच्चों को सुरक्षा मानकों का पालन न करने के लाभ के साथ ही उनका पालन न करने के कारण होने वाले नुकसान से अवगत कराया जाएगा।
सभी वाहन चालक जानते हैं कि सीट बेल्ट और हेलमेट का प्रयोग करना चाहिए। उसके बावजूद कई बार लापरवाही में इनका प्रयोग नहीं करते हैं। परिवहन विभाग के सर्वे में सामने आया कि 80 फीसद लोग पुलिस के डर से हेलमेट और सीट बेल्ट का प्रयोग करते हैं। सुरक्षा के महत्व से ज्यादातर लोग हेलमेट नहीं पहनते हैं। अब अधिकारी इस सोच में बदलाव कराना चाहते हैं। इसके लिए बच्चों का सहारा लिया जाएगा। स्कूलों में सुरक्षा डेस्क बनाकर बच्चों को टिप्स दिए जाएंगे। बच्चों को सबसे पहले हेलमेट और सीट बेल्ट का महत्च समझाया जाएगा। उसके बाद बच्चों को इसके लिए प्रेरित किया जाएगा कि वह खुद सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करें। इसके साथ ही अपने घर वालों को भी हेलमेट लगाने, सीट बेल्ट का प्रयोग करने और सड़क सुरक्षा के नियमों को मानने को प्रेरित कर सकें। प्रत्येक विद्यालय के एक-एक शिक्षक को सड़क सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे वह छात्र-छात्राओं को नियमित रूप से प्रशिक्षण देता रहेगा। छात्रों को बताई जाएगी हेलमेट की परिभाषा
एच - हेड यानि सिर की सुरक्षा करता है।
ई- ईयर यानि कानों को सुरक्षा प्रदान करता है।
एल - लिप्स यानि होठों को बचाकर रखता है।
एम - माउथ यानि इसके पहनने से मुख सुरक्षित रहता है।
ई - आइज यानी यह आंखों को सुरक्षा प्रदान करता है।
टी - टीथ यानि हेलमेट के पहनने से दांत सुरक्षित रहते हैं। हम बच्चों को हेलमेट और सीट बेल्ट का महत्व समझाएंगे। प्रत्येक स्कूल में एक सड़क सुरक्षा डेस्क बनाई जाएगी। इससे सुरक्षा का अभ्यास बच्चों को नियमित रूप से हो सकेगा। बच्चे अपने घर पर भी परिजनों को सुरक्षा के चलते हेलमेट-सीट बेल्ट के लिए प्रेरित करेंगे।
- राजेश कुमार मलिक, सड़क सुरक्षा अधिकारी