रोजाना खुले में फेंका जा रहा 250 टन कचरा
शहर से निकलने वाला करीब 250 मीट्रिक टन कूड़ा लोगों का सिरदर्द बना है। कूड़ा उठने से पहले तो परेशानी होती ही है इसके डंपिग ग्राउंड पर पहुंच जाने पर भी लोगों को आफत झेलनी पड़ रही है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : शहर से निकलने वाला करीब 250 टन कूड़ा लोगों का सिरदर्द बना हुआ है। कूड़ा उठने से पहले तो परेशानी होती ही है, इसके डंपिग ग्राउंड पर पहुंच जाने पर भी लोगों को आफत झेलनी पड़ रही है। गीला और सूखा कूड़ा एक साथ मिलाकर फेंका जा रहा है। इसके कारण पॉलीथिन का अंबार लगता जा रहा है। कूड़े को फैलाकर मिट्टी में दबाने और कूड़ा छंटाई का काम केवल फाइलों में ही हो रहा है। ऐसे में कूड़ा सड़ने से लोगों को परेशानी होती है।
तकनीक के दौर में कूड़ा भी बेकार नहीं रह गया है। इससे बिजली, पानी और उवर्रक बनाए जा सकते हैं। शहर के कूड़े का समुचित निस्तारण के लिए यहां भी मुरथल में निस्तारण प्लांट बनाया जाना है, लेकिन इसके निर्माण की धीमी रफ्तार लोगों के सेहत पर भारी पड़ रही है। रोजाना करीब 250 टन कूड़ा निकलता है। यह दोपहर तक शहर में जहां-तहां पड़ा रहता है, जिससे लोगों को इसकी दुर्गंध झेलनी पड़ती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश हैं कि कूड़ा सुबह बाजार खुलने और लोगों का आवागमन शुरू होने से पहले ही उठवा लिया जाए। उसके बावजूद दोपहर में कूड़े का उठान होता रहता है, जिससे बाजार में जाम लगने के साथ ही लोग संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। गीला-सूखा कचरा अलग करने की व्यवस्था नहीं
स्वच्छता सर्वेक्षण में जगह पाने के लिए आवेदन करने के बावजूद गीला और सूख कूड़ा अलग-अलग नहीं किया जा रहा है। इसके लिए वाहनों में अलग-अलग पिट बनाई गई हैं और कूड़ेदान रखवाए गए हैं। फाइलों में कूड़े अलग-अलग किया जाना दिखाया जा रहा है। इसी तरह पॉलीथिन को कूड़े से अलग नहीं किया जा रहा है। पॉलीथिन के मिले होने से कूड़ा जल्दी से न तो सूख पाता है और न ही गलता है। वह सड़ता रहता है, जिससे संक्रमण और दुर्गंध फैलती रहती है। निगम से नहीं है दबाने के आदेश
नगर निगम और कूड़े का उठान कर रही कंपनी के दावों में ही झोल है। एक ओर जहां नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि कूड़े की छंटाई कराने के साथ ही उसको मिट्टी से दबवाया जा रहा है, जबकि कंपनी के प्रतिनिधि का दावा है कि कूड़ा दबाने के आदेश नहीं है। कभी-कभार ज्यादा दुर्गंध उठने पर निगम से संदेश मिलता है, तभी एक-दो दिन मिट्टी डाल दी जाती है। अब तक पॉलीथिन की छंटाई नहीं की जा रही थी, लेकिन अब इसे शुरू किया जाएगा। हमारी योजना है कि कबाड़ियों को लगाकर पॉलीथिन की छंटाई कराएंगे और फिर उसको तौल कर खरीदेंगे। इसका ट्रायल कराया जा रहा है। कचरे को मिट्टी से कभी-कभार शिकायत मिलने पर ही दबाया जाता है। हम कूड़े के ढेर को जेसीबी की सहायता से फैला रहे हैं।
रामतीरथ सिंह, एग्जीक्यूटिव आफिसर, जीबीएम।