खतरनाक से दोगुना स्तर पर पहुंचा प्रदूषण
दीपावली के पटाखों का असर मंगलवार को स्मॉग के रूप में सामने आया।
जागरण संवाददाता, सोनीपत: दीपावली के पटाखों का असर मंगलवार को स्मॉग के रूप में सामने आया। खतरनाक से दोगुना स्तर पर प्रदूषण पहुंच गया। इससे लोगों को आंखों में जलन के साथ ही सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा। दिनभर सूर्यदेव के दर्शन नहीं हो सके। दिन में भी वाहनों की लाइट जलानी पड़ी। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) दोपहर में भी 234 पर स्थिर रहा। पीएम-10 का स्तर 404 पर पहुंच गया। पीएम 2.5 का स्तर भी एकाएक बढ़ गया है। लोगों को अब कई दिन तक ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ेगा। वायु में धूल और धुआं के कण घुलने से परेशानी बढ़ने लगी है।
प्रतिबंध के बावजूद दीपावली पर धड़ल्ले से पटाखों का प्रयोग किया गया। पटाखों से ध्वनि प्रदूषण के साथ ही धूल और धुआं वातावरण में छा गया। इसका असर मंगलवार को देखने को मिला। सुबह से ही वातावरण में धूल और धुआं की विषाक्त धुंध छा गई। इससे दिनभर सूरज नहीं निकला। कई बार वाहनों को दिन में भी लाइट जलाकर चलना पड़ा। हवा में पीएम 10 और 2.5 के दोनों ही तरह के पार्टिकल का स्तर कई गुना बढ़ गया। तापमान में गिरावट होने और हवा न चलने के कारण भी एक्यूआइ बढ़ता गया। पीएम 2.5 का स्तर 50 मानक के सापेक्ष शाम को चार बजे जहां 150 तक पहुंच गया, वहीं पीएम 10 का स्तर 69 के सापेक्ष 404 तक पहुंच गया। धूल व धुआं के स्मॉग के साथ ही हवा में जहरीली गैस सीओ -190 , एसओ-2 , एनओ-2 - 244 और एनएच-3 - 35 का स्तर कई गुना बढ़कर खतरनाक हो गया। इसका असर सबसे ज्यादा सांस और आंखों के रोगियों को झेलना पड़ा। हृदय रोगियों को भी सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा।
हालत
एक्यूआइ का स्तर शनिवार को 258 और रविवार को 270 रहा। सोमवार को हवा चलने से एक्यूआइ में थोड़ी गिरावट आई। यह 139 के स्तर पर औसत रहा। हालांकि पीएम-10 का स्तर 315 और 2.5 को 89 रहा। विशेषज्ञों के अनुसार अभी तीन दिन तक लोगों को स्मॉग के छाए रहने से परेशानी का सामना करना होगा। कार्रवाई में सुस्ती
वायु प्रदूषण की ऐसी स्थिति में सड़कों पर पानी का छिड़काव करने, डीजल जेनरेटर का संचालन बंद कराने, कोयला व लकड़ी की भट्टियों का प्रयोग बंद करने और उद्योगों को बंद करने की कार्रवाई की जाती है। उसके बावजूद जिले में एक भी उपाय नहीं किया गया है। इससे हालात और बिगड़ सकते हैं। उपाय करना तो दूर जिले में कूड़ा जलाने, पराली जलाने और सड़क निर्माण-भवन निर्माण का कार्य किया जा रहा है।
वायु प्रदूषण बढ़ा हुआ है। सेंटर से प्राप्त आंकड़ों को हम लगातार कंट्रोल रूम को उपलब्ध करा रहे हैं। डीजल संचालन बंद कराने और कोयला-लकड़ी की भट्ठियों को बंद कराने के आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। अभी कोई नया आदेश नहीं मिला है।
- ललित मलिक, एसडीओ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। एक्यूआइ का मौजूदा स्तर खतरनाक है। इसमें सावधान रहने की जरूरत है। हवा में धूल और धुआं के साथ ही हानिकारक गैसों के मिलने से यह सांस के साथ शरीर में पहुंच जाती हैं। इनके कारण न्यूमोनिया, टीबी, हार्ट अटैक, हाई बीपी के साथ ही आंखों व त्वचा को नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है। ऐसे मौसम में मुंह पर मास्क लगाकर या कपड़ा बांधकर ही बाहर निकलें। बार-बार पानी पीते रहें और आंखों को पानी से धोते रहे। बीमारों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को खुली हवा में निकलने से बचना चाहिए।
- डॉ. संजय छिक्कारा, एसएमओ,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र