वैज्ञानिकों ने कम लागत में ज्यादा पैदावार के दिए टिप्स
कृषि विभाग के अफसरों को विशेषज्ञों ने कम लागत में ज्यादा पैदावार लेने के तरीकों की जानकारी दी है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत: कृषि विभाग के अफसरों को विशेषज्ञों ने कम लागत में ज्यादा पैदावार लेने के तरीकों की जानकारी दी है। कृषि वैज्ञानिकों ने हिसार में कार्यशाला आयोजित कर जिले के अफसरों को नई तकनीक से अवगत कराया। प्रशिक्षण से लौटकर आए अफसरों ने बताया कि अब जिले में किसान जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। इससे कम उर्वरक और कम सिचाई में गेहूं की बेहतर पैदावार लेने के तरीके बताए जाएंगे।
फसल तैयार करने का मौजूदा तरीका ज्यादा कारगर नहीं है। इसको लंबे समय तक प्रयोग में भी नहीं लाया जा सकता है। दरअसल किसान खेतों में मानक से चार गुना तक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं, जबकि दोगुना सिचाई की जा रही हैं। इससे तीन नुकसान हो रहे हैं। एक ओर जहां फसल तैयार करने की लागत बढ़ने से किसानों को नुकसान हो रहा है, वहीं भूजल दोहन हो रहा है और खेती जहरीली होती जा रही है। अब खेती करने का मध्यम तरीका अपनाने पर जोर दिया गया है। इसमें कीटनाशकों, रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को नियंत्रित किया जाएगा। फसल प्रबंधन कर सिचाई को कम करने और सिचाई में कम पानी प्रयोग में लाने पर जोर दिया जाएगा।
वैज्ञानिकों ने अफसरों को बताया कि नई तकनीक का प्रयोग करने से फसलों को कम पानी और कम खाद की जरूरत पड़ती है। फसलों में कम बीमारी लगती हैं। नई तकनीक की जानकारी अब किसानों तक पहुंचाने का काम अफसरों का है।
कृषि उप निदेशक डा. अनिल सहरावत ने बताया कि जिले के अफसरों को दो दिन का प्रशिक्षण वैज्ञानिकों से दिलाया गया है। अब इसी आधार पर किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक तहसील में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे। किसानों को समझाने के लिए जरूरी प्रचार सामग्री भी तैयार कराई जा रही है।
बायो प्रोडक्ट की जांच को टीम गठित
कृषि उप निदेशक ने बताया कि सरकार ने बायो प्रोडक्ट की बिक्री पर रोक लगा दी थी। बायो प्रोडक्ट बेचने से पहले कंपनियों को कृषि निदेशक के कार्यालय में पंजीकरण कराना जरूरी है। जिले के उर्वरक विक्रेताओं को सरकार के आदेश की जानकारी देकर बायो प्रोडक्ट की बिक्री न करने को कहा गया था। इसके निरीक्षण के लिए टीमों का गठन कर दिया गया है।
टीम ने शनिवार को चार स्थानों पर निरीक्षण किया। कहीं पर भी प्रतिबंधित प्रोडक्ट की बिक्री होती हुई नहीं मिली। कृषि उपनिदेशक ने बताया कि चंडीगढ़ में कुछ कंपनियों ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है। उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि रजिस्ट्रेशन कराने और सरकार ने बिक्री का आदेश पत्र जारी होने की कंपनी की छायाप्रति अपनी दुकान पर प्रदर्शित करा दें। यदि सरकार की स्वीकृति की छाया प्रति उपलब्ध होगी तो ही बायोप्रोडक्ट की बिक्री कर पाएंगे। आदेश नहीं दिखाने पर बायोप्रोडक्ट को सीज करके आरोपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। किसान भी बायो प्रोडक्ट की खरीद करने से पहले दुकानदारों से सरकार का अनुमति पत्र मांग लें। पत्र नहीं दिखाने पर विभागीय अधिकारियों को इसकी सूचना दें।