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इनके पंख खोलोगे तो ये आकाश छू लेंगी

बेटियों ने अपनी योग्यता हर क्षेत्र में साबित करके दिखाई है। हरियाणा की बेटी बबीता फोगाट पर तो फिल्म भी बन चुकी है। सोनीपत की बेटी अनू कुमारी आईएएस में दूसरी रेंक हासिल कर केरल में तैनात हुई हैं। न्

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 06:06 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 06:06 PM (IST)
इनके पंख खोलोगे तो ये आकाश छू लेंगी
इनके पंख खोलोगे तो ये आकाश छू लेंगी

डीपी आर्य, सोनीपत

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अब वह जमाना लद चुका है जब लोग बेटे-बेटियों में फर्क महसूस करते थे। बेटियों की प्रतिभा और जज्बा के आगे दकियानूसी विचारधारा अब कुंद पड़ गई है। बेटियों ने अपनी योग्यता हर क्षेत्र में साबित करके दिखाई है। हरियाणा की बेटी बबीता फोगाट पर तो फिल्म भी बन चुकी है। सोनीपत की लाडली अनु कुमारी आइएएस में दूसरी रैंक हासिल कर प्रतिभा के क्षेत्र में डंका बजाया है। शहर की मेघना मलिक अभिनय के क्षेत्र में डंका बजा रही है। न्यायिक क्षेत्र में भी कई लड़कियों ने सफलता पाई है। जिले की 30 से ज्यादा बेटी खेल कोटे से रेलवे में नौकरी कर रही हैं। यहां की 50 से ज्यादा लड़की गरीबी और अव्यवस्था के बावजूद ओलंपिक कोर ग्रुप में हैं।

यहां बेटियां बढ़ भी रही हैं और पढ़ भी रहीं हैं। बेटियों ने यह साबित कर दिया है कि वह किसी से कम नहीं हैं। उन्होंने कड़ी मेहनत कर माता-पिता का नाम ऐसा रोशन किया कि उनको बेटा न होने का अहसास ही नहीं हुआ। इन्हीं बेटियों में से एक नेहा गोयल हैं। उसके भाई नहीं हैं। नेहा ने हॉकी में एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीता है। इसके लिए सरकार ने उसको डेढ़ करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया है। अब वह रेलवे में रहकर ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं।

निशा हॉकी में इंडिया खेल चुकी है। उनके भी भाई नहीं है। सरकार ने खेल कोटे से उसको रेलवे में नौकरी दी है। ज्योति रुमावत व शर्मिला देवी भी इंडिया टीम में खेल चुकी हैं। उन्होंने अपनी प्रतिभा से पूरे क्षेत्र में लोहा मनवाया है। बेटियां लगातार आगे बढ़ रहीं हैं। हालांकि गरीब तबके में बेटियों को आगे बढ़ने में थोड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके लिए समिति ने पहल की है। हम सौ से ज्यादा गरीब बच्चियों की स्कूल फीस, ड्रेस और पुस्तकों का खर्च वहन कर पढ़ा रहे हैं। बच्चियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, बस उनको संरक्षण की दरकार है।

- उषा भंडारी, अध्यक्ष महिला उत्थान समिति खेल क्षेत्र में लड़कियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। हमने लड़कियों के लिए हाकी का प्रशिक्षण कैंप खोला हुआ है। गरीब परिवारों की सौ से ज्यादा लड़कियां प्रशिक्षण ले रही हैं। खेल कोटे से 30 लड़कियां रेलवे में भर्ती हुई हैं। इस समय 50 लड़कियां ओलंपिक कोर ग्रुप में हैं। लड़कियों में जबरदस्त प्रतिभा है। बस उनको मौका मिलना चाहिए।

- प्रीतम सिवाच, अर्जुन एवार्ड से सम्मानित और हॉकी में कामन वेल्थ की गोल्ड मेडलिस्ट


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