गरीबों की कमजोरी दूर करेगा मल्टीग्रेन आटा
सरकार गरीबों को गेहूं चावल व बाजरे की बजाय मल्टीग्रेन आटे का वितरण करेगी।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : सरकार गरीबों को गेहूं, चावल व बाजरे की बजाय मल्टीग्रेन आटे का वितरण करेगी। इससे गरीब परिवारों के कुपोषण को खत्म करने में मदद मिलेगी। दावा है कि इससे महिलाओं और किशोरियों को एनीमिया से भी बचाया जा सकेगा। आटा वितरण योजना का अंबाला और करनाल सहित पांच जिलों में अच्छा परिणाम रहा है। उसके बाद सोनीपत में आटा वितरण की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए राई क्षेत्र में संचालित हो रही आटा मिलों की क्षमता में बढ़ोतरी की जाएगी।
सरकार की ओर से गरीब परिवारों को गेहूं, चावल और बाजरे का वितरण किया जाता है। इसके साथ ही चीनी और सरसों का तेल भी दिया जाता है। सरकार के सर्वे में सामने आया है कि सबसे ज्यादा कुपोषण और एनीमिया इसी वर्ग में पैर पसार रहा है। उसको दूर करने के लिए अब आटा देने की तैयारी है। मल्टीग्रेन आटा कई अनाजों को मिलाकर बनाया जाएगा, जिससे यह फाइबर के साथ ही मिनरल्स और पोषक तत्वों से भरपूर होगा।
सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अंबाला और करनाल में इसका परीक्षण कराया था। उसके बेहतर परिणाम सामने आने के बाद इस साल पांच जिलों में इसको लागू किया गया है। अब तीसरे चरण में इसको सोनीपत क्षेत्र में लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। मल्टीग्रेन आटा राई क्षेत्र में दो फ्लोर मिल पर तैयार कराकर अन्य जिलों में वितरित किया गया था। फिलहाल मिल पांचों जिलों को आटे की सप्लाई कर रहे हैं। सोनीपत में वितरण के लिए अधिकारी मिलों की क्षमता का आंकलन कर रहे हैं। दूसरे जिलों के मिलों से मंगवाने पर इसकी लागत बढ़ जाएगी। इसके चलते मिलों की क्षमता बढ़ाई जा रही है। अनाज वितरण के सापेक्ष मल्टीग्रेन आटे के परिणाम ज्यादा बेहतर मिले हैं। आटे से कुपोषण और एनीमिया को दूर करना आसान है। जल्द ही जिले में आटा वितरण योजना को शुरू किया जाएगा। इसके लिए मिलों की क्षमता को बढ़वाया जा रहा है।
- नीतेश गोयल, डीएफएसओ।