पितृ पक्ष आया तो बाजार डगमगाया
मंदी की मार झेल रहे बाजार को पितृ पक्ष ने और जोर का झटका दिया है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत: मंदी की मार झेल रहे बाजार को पितृ पक्ष ने और झटका दिया है। ज्यादातर कारोबार में बिक्री 50 फीसद तक कम हो गई है। दैनिक खानपान के सामान को छोड़ दिया जाए तो लोग अन्य सामान की खरीद कम ही कर रहे हैं। सबसे ज्यादा नुकसान ज्वेलरी, कपड़ा, वाहन, लोहा, श्रृंगार व बर्तन आदि के कारोबार को हो रहा है। इसके साथ ही रंग-रोगन, ब्यूटी पार्लर और मिष्ठान का कारोबार भी मंदी की मार झेल रहा है। हालात यह है कि दिनभर गुलजार रहने वाले शहर के कई बाजार में आजकल सन्नाटा पसरा है।
पितरों को समर्पित श्राद्ध पक्ष को ज्यादातर लोग पूजा-अर्चना के साथ मनाते हैं। श्राद्ध के साथ ही तर्पण जुड़ा होने के चलते लोग अपने पितरों का स्मरण करते हैं। यथाशक्ति उनको खुश करने के लिए दान करते हैं। अपने पितरों को स्मरण करने के साथ ही लोग बाजार से केवल जरूरी सामान की खरीददारी ही करते हैं। इसका असर बाजार पर पड़ता है। बिक्री कम होने के चलते दुकानदार नवरात्र की प्रतीक्षा में समय व्यतीत करते हैं। इनका मानना है कि नवरात्र आते ही बाजार में भीड़ बढ़ेगी और सब कुछ सामान्य हो जाएगा। हालांकि धार्मिक अनुष्ठान कराने वाले विद्वानों का मानना है कि कोई भी माता-पिता अपनी संतान को खुश देखना चाहता है। ऐसे में श्राद्ध में खरीद करनी चाहिए। किसी शास्त्र में जेवरात-कपड़ा या किसी सामान की खरीद करने से रोका नहीं गया है।
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श्राद्ध पक्ष में सबसे ज्यादा मंदी जेवरात के कारोबार पर आती है। लोग इस पक्ष में घरेलू अनुष्ठान में व्यस्त रहते हैं। कई जेवरात खरीदना ही नहीं चाहता। ज्यादातर लोग जेवरात की खरीद को नवरात्र का इंतजार करना ही बेहतर मानते हैं। हमको भी नवरात्र आने का इंतजार है।
- राजू वर्मा, प्रमुख जेवरात कारोबारी।
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कपड़ा व बर्तन आदि की खरीद लोग खुशी या जरूरत में करते हैं। विवाह-शादी पितर पक्ष में होती नहीं हैं। लोग घरेलू पूजा-पाठ में ज्यादा समय लगाते हैं। इसका सीधा प्रभाव बाजार पर पड़ता है। पहले जेवरात, कपड़ा व बर्तन आदि की खरीद ही प्रभावित होती थी। आजकल पूरा बाजार ही 15 दिन के लिए डगमगा जाता है। पहले से ही कारोबार पर मंदी की मार है। आजकर हालात बेहद खराब हैं। उम्मीद है नवरात्र में सब बेहतर हो जाएगा।
- राकेश चौपड़ा, प्रधान- कच्चा क्वार्टर बाजार एसोसिएशन।
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गणेश पूजन और दुर्गा पूजा के बीच में श्राद्ध पक्ष पड़ता है। इस समय पर शादी-विवाह और अन्य आयोजन होते नहीं हैं। खेती का काम भी ज्यादा नहीं होता है। ऐसे में ज्यादातर लोग तर्पण व पूजन में समय बिताते हैं। हालांकि किसी धर्म शास्त्र का श्राद्ध में नए कपड़ों, बर्तनों, जेवरात, वाहन या अन्य सामान की खरीद न करने का आदेश नहीं है।
- पं. जयदेव गोस्वामी, धार्मिक अनुष्ठानकर्ता- गीता भवन मंदिर मॉडल टाउन।