कृषि विभाग व कंपनी के बीच उलझी फसलों की क्रॉप कटिग
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जिले में फिसड्डी होती जा रही है। पहले जहां विभाग व बैंकों की सुस्ती के कारण किसानों की फसलों का बीमा लक्ष्य अनुसार पूरा नहीं हुआ। वहीं अब फसलों की क्रॉप कटिग विभाग व संबंधित कंपनी के बीच उलझ गई है। विभाग के पास स्टाफ नहीं है तो कंपनी स्टाफ लगाने को तैयार नहीं है। ऐसे में अब फसलों की क्रॉप कटिग न होने से किसानों में पैदावार कम आने पर नुकसान की आशंका बनी हुई है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि इस समस्या को उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है।
- कृषि विभाग के पास स्टाफ नहीं, कंपनी स्टाफ लगाने के लिए नहीं तैयार
- क्रॉप कटिग न होने से नहीं मिल पाएगी सही पैदावार की जानकारी, किसान चितित जागरण संवाददाता, सोनीपत
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जिले में फिसड्डी होती जा रही है। पहले जहां विभाग व बैंकों की सुस्ती के कारण किसानों की फसलों का बीमा लक्ष्य अनुसार पूरा नहीं हुआ। वहीं, अब फसलों की क्रॉप कटिग विभाग व संबंधित कंपनी के बीच उलझ गई है। विभाग के पास स्टाफ नहीं है तो कंपनी स्टाफ लगाने को तैयार नहीं है। ऐसे में अब फसलों की क्रॉप कटिग न होने से किसानों में पैदावार कम आने पर नुकसान की आशंका बनी हुई है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि इस समस्या को उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है।
केंद्र सरकार ने किसानों को उनकी फसलों के खराब होने पर उचित मुआवजा देने के लिए वर्ष 2016 प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी। इसके अनुसार किसानों को दो प्रकार से फसलों का मुआवजा दिया जाता है। पहला अप्राकृतिक आपदाओं से फसल खराब होना और दूसरा फसलों की पैदावार पिछले सीजन से कम होना।
जिला सोनीपत में करीब एक लाख 39 हजार परिवार कृषि से संबंधित रखते हैं। इनमें से करीब 77 हजार किसान ऐसे हैं, जिन्होंने बैंकों से ऋण लिया हुआ है। योजना के अनुसार बैंकों द्वारा ऋणी किसानों का प्रीमियम काटना तय है। इसके बावजूद अब तक एक भी सीजन में तय किसानों का प्रीमियम नहीं काटा है।
हालात यह हैं कि अब की बार तो जिले में मात्र 25 हजार नौ किसानों का ही प्रीमियम कटा है। ऐसे में जिनका प्रीमियम नहीं कटा है, उन्हें फसलों के नुकसान पर मुआवजा नहीं मिलेगा। इसके अलावा फसलों की पैदावार करवाने के लिए विभाग द्वारा क्रॉप कटिग का कार्य करवाया जाता है। इसका कार्यभार एक निजी कंपनी को सौंपा गया है।
अधिकारियों के अनुसार निजी कंपनी इस कार्य के लिए कर्मचारियों को लगाने के लिए तैयार नहीं है, जबकि विभाग के पास भी कर्मचारी नहीं है। ऐसे में किसानों को पैदावार कम होने पर नुकसान की आशंका बनी हुई है। क्या है क्रॉप कटिग
क्रॉप कटिग के तहत गांव के चारों कोनों से चार एकड़ भूमि को सैंपल के रूप में लिया जाता है। फिर इन चार एकड़ भूमि में से पांच बाई पांच का एरिया निकालकर उसमें फसल की कटाई करवाई जाती है। इस तरह सभी चिह्नित एरिया में जितना पैदावार होता है, उसे कैलकुलेट कर पूरे गांव का औसत पैदावार मान लिया जाता है। अगर क्रॉप कटिग के दौरान उस गांव में फसल पिछले वर्ष की तुलना में कम होती है तो वहां के किसानों को उसके अनुसार मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। जिले के 347 गांवों में क्रॉप कटिग का कार्य कराना है। विभाग के पास 17 कृषि विकास अधिकारी हैं। उनको 115 गांव सौंपे गए थे, लेकिन अब उनकी ड्यूटी चुनाव में लग गई। कंपनी उन्हें युवाओं की ड्यूटी लगाने की कह रही है, लेकिन युवा पैसे न मिलने की आशंका के कारण नहीं आ रहे। ऐसे में क्रॉप कटिग का कार्य रूका हुआ है। इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को अवगत करा दी है।
- देवेंद्र लांबा, एएसओ, कृषि विभाग, सोनीपत