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श्रीराम की शरण में आने वालों का होता है उद्धार

प्रभु राम के चरण का स्पर्श पाने मात्र से अहिल्या की मुक्ति हो गई। वैसे ही हमें अपने अंदर ऐसी भक्ति उत्पन्न करनी चाहिए कि प्रभु बाध्य हो जाएं हमारे पास आने के लिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 04:55 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 04:55 PM (IST)
श्रीराम की शरण में आने वालों का होता है उद्धार
श्रीराम की शरण में आने वालों का होता है उद्धार

जागरण संवाददाता, सोनीपत: श्रीराम की शरण में आने से दुखों का अंत होता है। प्रभू श्रीराम हितकारी हैं। किसी के दुख देखकर तुरंत करूणा दया की बरसात करते हैं सीता के कारण राम को स्वयं आना पड़ा। प्रभु राम के चरण का स्पर्श पाने मात्र से अहिल्या की मुक्ति हो गई। वैसे ही हमें अपने अंदर ऐसी भक्ति उत्पन्न करनी चाहिए कि प्रभु बाध्य हो जाएं हमारे पास आने के लिए।

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श्री रामलीला सभा के प्रधान विजय गौतम ने बताया कि दूसरे दिन विश्वामित्र यज्ञ रक्षा, अहिल्या उद्धार, श्रीराम-लक्ष्मण का जनकपुर निरीक्षण का मंचन होता है। रामजन्म के दृश्य से रामलीला का मंचन शुरू होता। राम सहित चार पुत्रों की प्राप्ति से राजा दशरथ बहुत ही खुश होते हैं। इसके बाद विश्वामित्र का आगमन होता है, जो राजा दशरथ से उनके दो पुत्रों को अपने यज्ञ की रक्षा के लिए मांग लेते हैं, जिससे राजा दशरथ घबरा जाते हैं। विश्वामित्र इससे क्रोधित होकर वहां से चल पड़ते हैं। उन्हें गुरु वशिष्ठ मनाते हैं और राजा दशरथ को पुत्रों को भेजने के लिए कहते हैं। वन में पहुंचकर राम और लक्ष्मण ने खरदूषण ताड़का का वध कर उनका यज्ञ सफल बनाते हैं। इसके बाद महाराजा जनक के बुलावे पर विश्वामित्र उन्हें लेकर जनकपुरी की ओर बढ़ जाते हैं। रास्ते में गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का वह अपने चरण से उद्धार कर सदियों के अभिशाप से मुक्त करते हैं।


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