हर माह तीन करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी नगर निगम क्षेत्र में नहीं दिखती सफाई
जागरण संवाददाता, सोनीपत : शहर की सफाई व्यवस्था पर हर माह करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद नगर निगम की सफाई व्यवस्था को सुधार नहीं पा रहा है। इतने भारी भरकम खर्च के बाद भी हाल बदहाल है। न तो डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली गाड़ी हर गली तक पहुंच पा रही है और न सड़क किनारे पड़े कचरे को उठाया जा रहा है। लोगों का कहना है कि कॉलोनियों में कई-कई दिन तक कचरा उठाने वाली गाड़ी नहीं पहुंची, जिस कारण घरों में कचरे का ढेर लग जाता है। मजबूरी में उन्हें कचरा सड़क किनारे या आसपास के क्षेत्र में फेंकना पड़ता है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : शहर की सफाई व्यवस्था पर हर माह तीन करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इतने भारी भरकम खर्च के बाद भी नगर निगम क्षेत्र के लोगों को सफाई नहीं दिखती। हाल यह है कि सड़क किनारे पड़े कचरे को रोजाना उठाया तक नहीं जा रहा। लोगों का कहना है कि कॉलोनियों में कई-कई दिन तक कचरा उठाने वाली गाड़ी नहीं पहुंचती है, जिस कारण घरों में कचरे का ढेर लग जाता है। मजबूरी में उन्हें कचरा सड़क किनारे या आसपास के क्षेत्र में फेंकना पड़ता है। यही नहीं निगम के सफाई कर्मचारी कई बार तय डं¨पग ग्राउंड की बजाय शहर के बाहरी हिस्सों में पड़े खाली प्लाट या रोड के किनारे कचरा फेंक जाते हैं। इसके चलते शहर के प्रवेश द्वारों पर गंदगी के ढेर नजर आते हैं। चार जोन में बंटा है निगम क्षेत्र
निगम के 4 जोन की सफाई व्यवस्था पर हर माह करीब 3 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसमें कूड़ा उठाने से लेकर डं¨पग प्वाइंट तक पहुंचाने का कार्य निजी एजेंसी से कराया जा रहा है। नगर निगम के पास पक्के व अनुबंधित कर्मचारियों की संख्या मिलाकर कुल 379 है। इनकी तैनाती मुख्य शहरी क्षेत्र में की गई है। बाकी क्षेत्रों में सफाई का ठेका निजी एजेंसियों के पास है। डं¨पग प्वाइंट की स्थिति :
कचरा डं¨पग की भी उचित व्यवस्था नहीं है। दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पास व मुरथल में कचरा डं¨पग प्वाइंट है, जहां चार दीवारी के अलावा कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। संसाधनों पर एक नजर :
- पक्के कर्मचारी : 130
- अनुबंधित कर्मचारी : 249
- कचरा उठाने वाली गाड़ी : 40
- शहर से प्रतिदिन निकलने वाला कचरा : 150 टन