फूलों की खेती ने बदली रणबीर की ¨जदगी, हर वर्ष कमा रहे 20 लाख
देश व प्रदेश में कई ऐसे किसान हैं जो खेती को सिर्फ खेती की नजर से नहीं बल्कि कारोबार में रूप में भी देखते हैं। ऐसे ही पलवल जिले के गांव पातली कलां निवासी रणबीर ¨सह हैं। रणबीर ¨सह भी पहले आम किसानों की तरह गेहूं व धान की फसल की खेती करते थे, लेकिन जब से उन्होंने फूलों की खेती करनी शुरू की, उसके बाद से ही उनकी ¨जदगी बदल गई। उन्होंने कभी दूसरी फसलों की खेती करने के बारे में नहीं सोचा।
आशीष मुदगिल, गन्नौर (सोनीपत)
देश व प्रदेश में कई ऐसे किसान हैं, जो खेती को सिर्फ खेती की नजर से नहीं बल्कि कारोबार में रूप में भी देखते हैं। ऐसे ही पलवल जिले के गांव पातली कलां निवासी रणबीर ¨सह हैं। रणबीर ¨सह भी पहले आम किसानों की तरह गेहूं व धान की फसल की खेती करते थे, लेकिन जब से उन्होंने फूलों की खेती करनी शुरू की, उसके बाद से ही उनकी ¨जदगी बदल गई। उन्होंने कभी दूसरी फसलों की खेती करने के बारे में नहीं सोचा। वह फूलों की खेती के माध्यम से हर वर्ष 18 से 20 लाख रुपये कमा रहे हैं। अब वे दूसरे किसानों को भी फूलों की खेती को स्वरोजगार के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। रणबीर ¨सह ने गन्नौर स्थित अंतरराष्ट्रीय बागवानी मंडी में आयोजित एग्री लीडरशिप समिट में भी फूलों की खेती प्रदर्शित कर किसानों को जागरूक किया। पहले दूसरे के लिए फूलों की खेती का काम किया था शुरू
रणबीर ¨सह ने बताया कि उन्होंने अपने जानने वाले को फूलों की खेती करने के लिए जमीन दिलाई थी। उन्होंने उसे ही खेती का काम संभालने को दे दिया। इसके बाद उसने खुद फूलों की खेती करनी शुरू कर दी। शुरू में आधे एकड़ में फूलों की खेती की, जिसमें 50 हजार रुपये का मुनाफा हुआ। उसके बाद उन्होंने जमीन किराये पर लेकर भी फूलों की खेती की, जिससे उनकी आर्थिक आय में काफी वृद्धि हुई। उनके पास दो एकड़ भूमि है और सात एकड़ भूमि वे किराये पर लेकर खेती कर रहे हैं। उनकी वार्षिक आय 18 से 20 लाख रुपये है। इन फूलों की कर रहे हैं खेती
किसान रणबीर ¨सह गुलदावरी, रजनीगंधा आदि फूलों की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गुलदावरी व डेलिया फूल की पौधे कोलकाता से मंगवाते हैं, जबकि बासिका व स्कोका फूल के पौधे जापान से मंगवाते हैं। एक बार के खर्च पर दो बार मुनाफा देता गुलदावरी फूल
किसान रणबीर ने बताया कि गुलदावरी फूल एक बार के खर्च में दो बार मुनाफा देने वाला है। यह फूल 50 से 62 दिनों में तैयार हो जाता है। नवंबर-दिसंबर में फूल पहली बार तैयार हो कर तोड़ लिया जाता है। इसके बाद जनवरी माह में उसी जमीन में खुद ही यह फूल दोबारा फूटने लगता है। फिर मार्च में फिर से यह फूल तैयार हो जाता है। एक एकड़ की फसल में यह फूल 8 लाख रुपये का मुनाफा दे सकता है।