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गोविंद रसोई से मिल रहा हजारों मरीजों व भूखों को मुफ्त में खाना, डाइटीशियन की सलाह पर बनता है भोजन

त्यागी बताते हैं कि अनलॉक वन तक अग्रसेन भवन में उनकी रसोई चलती रही और लगभग छह लाख लोगों को गोविंद रसोई की ओर से भोजन उपलब्ध कराया गया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 01:03 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 01:03 PM (IST)
गोविंद रसोई से मिल रहा हजारों मरीजों व भूखों को मुफ्त में खाना, डाइटीशियन की सलाह पर बनता है भोजन
गोविंद रसोई से मिल रहा हजारों मरीजों व भूखों को मुफ्त में खाना, डाइटीशियन की सलाह पर बनता है भोजन

सोनीपत [संजय निधि]। कहते हैं अगर दिल से कुछ अच्छा करने की सोचो तो रास्ते खुद मिल जाते हैं। इसे सही साबित किया है, सेफ इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों ने। फाउंडेशन के प्रधान संजय सिंगला व चेयरमैन वाईके त्यागी ने नागरिक अस्पताल में गरीब मरीजों व कुपोषित गर्भवतियों की स्थिति देखकर उन्हें पौष्टिक भोजन देने की सोची, लेकिन उनके समक्ष बजट की समस्या आन खड़ी हुई। फाउंडेशन के सदस्यों से इसकी चर्चा की तो उन्होंने अपने जेब से पैसे जोड़कर और कुछ लोगों से चंदा मांगकर इसकी शुरुआत की। इसका नाम दिया गोविंद रसोई।

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इस अच्छे काम को देखकर धीरे-धीरे इससे लोग जुड़ते गए और आज यह गोविंद रसोई अस्पताल के मरीजों ही नहीं, बल्कि सैकड़ों गरीबों व जरूरतमंदों को भी फ्री में भोजन करा रहा है। लॉकडाउन के दौरान भी गोविंद रसोई ने छह लाख से ज्यादा लोगों को भोजन उपलब्ध कराया।

ऐसे हुई थी शुरुआत

सेफ इंडिया फाउंडेशन के प्रधान संजय सिंगला ने बताया कि नागरिक अस्पताल में मरीजों की स्थिति देखकर उन्हें कुछ पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने की सोची। वर्ष 2017 में नागरिक अस्पताल के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. जसवंत सिंह पूनिया ने इसके लिए उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने हरसंभव सहयोग का भी आश्वासन दिया। उन्होंने इसकी चर्चा फाउंडेशन के चेयरमैन वाईके त्यागी व अन्य पदाधिकारी शालू त्यागी, रविंद्र सरोहा आदि से की। सभी ने इसकी सराहना की, लेकिन बजट की समस्या आड़े आ गई। फिर उन्होंने गोविंद रसोई की शुरुआत की और इसके लिए लोगों से चंदे के रूप में सहयोग करने की अपील की।

सिंगला बताते हैं कि नागरिक (सरकारी) अस्पताल में अक्सर गरीब मरीज ही आते हैं। कई तो ऐसे भी होते हैं जिन्हें सही से दो वक्त का भोजन भी नहीं मिलता। इसे देखते हुए शहर के दानी सज्जन उनके साथ जुड़ने लगे। अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें एक कमरा मुहैया कराया, जिसमें उन्होंने अपना रसोई घर बनाया और मरीजों को भोजन देना शुरू किया। शुरुआत में बजट की कमी के चलते केवल अस्पताल में दाखिल मरीजों को ही भोजन देते थे, लेकिन धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और बजट बढ़ने लगा तो उन्होंने मरीजों के साथ रहने वाले परिजनों को भी भोजन मुहैया कराना शुरू कर दिया। कई शहरवासी अपने जन्मदिन, वर्षगांठ आदि की खुशियां भी गोविंद रसोई के साथ मनाने लगे और इन खुशियों के दिन मरीजों को भोजन देने लगे। धीरे-धीरे उनका कारवां बढ़ता गया।

लॉकडाउन में और बड़ा हुआ गोविंद रसोई

कोरोना संक्रमण के चलते जब लॉकडाउन हुआ तो अचानक से सब कुछ बंद होने से गरीबों व दिहाड़ीदार मजदूरों के समक्ष भोजन का संकट उत्पन्न हो गया। गोविंद रसोई के चेयरमैन वाईके त्यागी ने बताते हैं कि इस दौरान उनकी रसोई से भोजन लेने वाले जरूरतमंद बढ़ गये, तब उन्हें अपनी रसोई बड़ी करनी पड़ी। नागरिक अस्पताल के अलावा अग्रसेन भवन में भी उन्होने अपनी रसोई बनाई और यहां से रोजाना आठ से दस हजार जरूरतमंदों को भोजन दिया जाने लगा। यह सिलसिला पूरे लॉकडाउन के दौरान चलता रहा।

 

त्यागी बताते हैं कि अनलॉक वन तक अग्रसेन भवन में उनकी रसोई चलती रही और लगभग छह लाख लोगों को गोविंद रसोई की ओर से भोजन उपलब्ध कराया गया। यह सब शहरवासियों के सहयोग से ही संभव हुआ। आज भी नागिक अस्पताल में मरीजों के अलावा बाहर एक काउंटर पर दोनों वक्त का भोजन वितरित किया जाता है। अब भी गोविंद रसोई की रोजाना तकरीबन 1500 लोगों को निश्शुल्क भोजन कराता है और वे इसे रुकने नहीं देंगे। यही नहीं, अब तो गन्नौर के सरकारी अस्पताल में भी गोविंद रसोई की ओर से मरीजों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

डाइटीशियन की सलाह पर बनता है भोजन

गोविंद रसोई की महिला चेयरपर्सन शालू त्यागी ने बताया कि अस्पताल में मरीजों को दिया जाने वाला भोजन सामान्य नहीं होता है। मरीजों की बीमारी और डॉक्टरों की सलाह के अनुसार उनके लिए तीनों वक्त का भोजन पकाया जाता है।

अस्पताल में नियुक्त डाइटीशियन के मुताबिक गर्भवती, कुपोषित व ऑपरेशन वाले मरीजों को भोजन दिया जाता है। भोजन में दूध से लेकर फल और हरी सब्जी का विशेष ध्यान रखा जाता है। बच्चों के लिए दूध का भी इंतजाम किया जाता है। भोजन बनाने के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

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