Sonipat: एटीएम की तर्ज पर काम करेंगी मशीन, सिक्का डालने पर बाहर निकलेगा थैला; प्लास्टिक से मिलेगा छुटकारा
सोनीपत के लोगों ने एटीएम से केवल नोट ही निकलते हुए देखा है लेकिन जल्दी ही नोट के स्थान पर ऐसी ही मशीन से कपड़े की थैली निकलती देखेंगे। दरअसल नगर निगम शहर के बाजारों में भी थैली निकालने वाले क्लाथ बैग वेंडिंग मशीन लगाने की कवायद शुरू की है।
सोनीपत, जागरण संवाददाता। अब तक जिले के लोगों ने एटीएम से केवल नोट ही निकलते हुए देखा है, लेकिन जल्दी ही नोट के स्थान पर ऐसी ही मशीन से कपड़े की थैली निकलती देखेंगे। दरअसल, नगर निगम शहर के बाजारों में भी थैली निकालने वाले क्लाथ बैग वेंडिंग मशीन लगाने की कवायद शुरू की है। इस मशीन में सिक्का डालते ही कपड़े का थैला खुद निकल आएगा। इससे बाजारों में बिना थैले के आए लोग मशीन से थैला लेकर अपना सामान ले सकेंगे और पालीथिन का उपयोग कम हो सकेगा।
नगर निगम की मानें तो जल्द ही सब्जी मंडी सहित शहर के प्रमुख बाजारों में इस मशीन को लगाया जा सकता है। सरकार ने बेशक सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कर दिया हो, लेकिन जिले में धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल हो रहा है। ज्यादातर दुकानदारों का कहना है लोग सामान डालने के लिए पालीथिन मांगते हैं। यदि वे नहीं देंगे तो ग्राहक दूसरी दुकान से सामान ले लेगा। इसलिए उन्हें पालीथिन देना पड़ रहा है। दुकानदार इसका विकल्प खोज रहे हैं, ताकि जुर्माने से बचा जा सके और उनका व्यापार पर भी असर न पड़े।
अब निगम के इस निर्णय से दुकानदारों की परेशानी भी कम होगी। अब इससे रोकने के लिए निगम ने वेंडिंग मशीन लगाने की योजना पर मंथन शुरू कर दिया है। शुरुआती दौर में कामी रोड स्थित शहर की सब्जी मंडी में यह मशीन लगाने की संभावना है।
राजस्थान में लगी हैं मशीनें
आटोमेटिक क्लाथ वेंडिंग मीशनें राजस्थान के कुछ शहरों में काम कर रही हैं। इस मशीन में दो और पांच रुपये के सिक्के डालने पर वजन के हिसाब कपड़े की थैली बाहर निकलती है। उसी आधार पर सोनीपत नगर निगम भी इन मशीनों को स्थापित करने पर विचार कर रहा है। अधिकारियों ने बताय कि मशीन की कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं है। फिलहाल इसके वेंडर से संपर्क किया जा रहा है।
एक प्लान ये भी बनेंगे प्लास्टिक पेवर ब्लाक और टाइल्स
नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की शहर से निकले प्लास्टिक कचरे का अध्ययन करेगी। अध्ययन में प्लास्टिक कचरे की प्रकृति का अध्ययन कर पता लगाया जाएगा कि उसे कैसे री-साइकिल कर दोबारा यूज में लाया जा सकता है। वहीं, टीम इस बात की भी पड़ताल करेगी की प्लास्टिक कचरा क्षेत्र के जल स्रोतों को कितना प्रभावित करता है।
अध्ययन से प्लास्टिक के उपयोग और वैकल्पिक विकल्पों को समझने में मिलेगी मदद मिलेगी। आइआइटी रुड़की के रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग ने पैक्ड दूध और तेल के पैकेट से प्लास्टिक पेवर ब्लाक और टाइल्स बनाने की तकनीक ईजाद की गई है। यदि संभावना बनती है तो इस तकनीक पर सोनीपत में भी काम हो सकता है।
मुख्य सफाई निरीक्षक साहब सिंह ने बताया कि पालीथिन का इस्तेमाल न हो इसके लिए नगर निगम की ओर से कपड़े के थैले उपलब्ध करने वाली वेंडिंग मशीनें लगाने पर विचार किया जा रहा है। इस मशीन से वेंडरों से संपर्क किया जा रहा है। इसकी तकनीक और लगने की संभावना पर उनसे विचार-विमर्श किया जाएगा। शहर की सब्जी मंडी से इसकी शुरुआत हो सकती है।