जीटी रोड पर आंदोलनकारियों की झोपड़ी में लगी आग
कृषि कानूनों के खिलाफ जीटी रोड पर धरना देकर बैठे आंदोलनकारियों की अस्थायी झोपड़ी व तंबू में बृहस्पतिवार दोपहर को अचानक आग लग गई।
संवाद सहयोगी, राई : कृषि कानूनों के खिलाफ जीटी रोड पर धरना देकर बैठे आंदोलनकारियों की अस्थायी झोपड़ी व तंबू में बृहस्पतिवार दोपहर को अचानक आग लग गई। रसोई गांव के पास जीटी रोड पर बनाई गई दो झोपड़ी जलकर कर राख हो गई। आग की सूचना मिलते ही अग्निशमन विभाग की गाड़ी मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक दोनों झोपड़ी पूरी तरह जल चुकी थी और आंदोलनकारियों ने अपने स्तर पर काफी हद तक आग पर काबू पा लिया था। आंदोलनकारियों ने किसी बाहरी व्यक्ति पर जानबूझ कर आग लगाने का आरोप लगाया है।
जीटी रोड पर कुंडली बार्डर से लेकर रसोई ढाबे तक आंदोलनकारियों के तंबू लगे हैं। बढ़ती गर्मी को देखते हुए आंदोलनकारियों ने जगह-जगह घास की झोपड़ियां भी बना ली हैं। बृहस्पतिवार दोपहर को रसोई ढाबा के पास जीटी रोड पर बने झोपड़ी में अचानक आग लग गई। आग इतनी तेजी से फैली कि साथ लगती दूसरी झोपड़ी और तंबू को भी अपनी चपेट में ले लिया। लपटें उठती देख तंबू के अंदर बैठे आंदोलनकारियों ने भागकर अपनी जान बचाई। आग लगने के दौरान झोपड़ी के पास ही कुछ गाड़ियां भी खड़ी थी, जिसे तत्काल आंदोलनकारियों ने मौके से हटाया और आगजनी की सूचना पुलिस और फायर ब्रिगेड को दी। मौके पर बड़ी संख्या में आंदोलनकारी एकत्रित हो गए और अपने स्तर पर आग बुझाना शुरू किया। इसी दौरान फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी मौके पर पहुंच गई और आग को पूरी तरह से शांत किया। आग के कारण झोपड़ी के अंदर रखे दो पंखे, नौ बेड और बिस्तर के साथ-साथ कपड़े आदि भी जलकर राख हो गए। मौके पर मौजूद आंदोलनकारियों का कहना था कि मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए दो युवाओं ने तंबू में बाहर से आग लगाई है। हालांकि किसी के पास मोटरसाइकिल के नंबर आदि नहीं थे। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि इस तरह की हरकतों से आंदोलन कमजोर नहीं होने वाला है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने पहले भी प्रशासन से हर 500 मीटर की दूरी पर अग्निशमन की गाड़ी की व्यवस्था करने की मांग की थी। गनीमत रही कि आंदोलनकारियों ने आग पर काबू पा लिया, नहीं तो आगजनी वाले स्थान पर काफी तंबू थे और यदि आग भड़क उठती तो बड़ा हादसा हो सकता था।