सात दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद 55 वर्षीय गीता ने जीती कोरोना से जंग
15 दिन पहले जब 55 वर्षीय गीता गांव खानपुर कलां स्थित विशेष कोविड अस्पताल में पहुंची तो उसकी हालत बेहद गंभीर थी। निमोनिया शुगर व बीपी की बीमारी तो उसे पहले ही थी उसे ठीक से सांस नहीं आ रहा था। कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजीटिव आई तो लगा अब बचना मुश्किल है लेकिन चिकित्सकों ने उसे बचाने के लिए दिन-रात एक कर दिए। सात दिन तक वेंटिलेटर पर रखा।
भंवर सिंह, गोहाना
15 दिन पहले जब 55 वर्षीय गीता गांव खानपुर कलां स्थित विशेष कोविड अस्पताल में पहुंची तो उनकी हालत बेहद गंभीर थी। निमोनिया, शुगर व बीपी की बीमारी तो उन्हें पहले ही थी, अब ठीक से सांस नहीं आ रहा था। कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो लगा अब बचना मुश्किल है लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें बचाने के लिए दिन-रात एक कर दिए। सात दिन तक वेंटिलेटर पर रखा। कोरोना से जंग जीतकर मंगलवार को जब वह आइसोलेशन वार्ड से बाहर निकली तो बोलीं डॉक्टर भगवान का रूप हैं। चिकित्सकों ने उनका तालियां बजाकर स्वागत किया।
गांव जाखौली निवासी गीता शुगर व बीपी की मरीज हैं। उन्हें करीब 20 दिन पहले निमोनिया भी हो गया, जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ महसूस होने लगी। मर्ज बढ़ने पर 10 मई को वे जिला के नागरिक अस्पताल पहुंची तो गांव खानपुर कलां स्थित विशेष कोविड अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। गीता की गंभीर हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने उन्हें यहां 11 मई को दाखिल कर वेंटिलेटर पर ले लिया। उनके कोरोना के साथ अन्य टेस्ट भी कराए गए। 13 मई को रिपोर्ट आई तो वह कोरोना पॉजिटिव मिली। गीता को लगने लगा अब उनका बचना मुश्किल है। वह पूरे सात दिन तक वेंटिलेटर पर कोरोना और जिदगी से जंग लड़ती रहीं। धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा, जिसके बाद वेंटिलेटर हटाकर चार दिन तक चिकित्सकों ने सी पैप के माध्यम से ऑक्सीजन दी। 22 मई को ऑक्सीजन भी हटा दी गई। चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मचारियों ने हर पल गीता का उपचार करते हुए हौसला बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 23 मई से गीता ने आइसोलेशन वार्ड में टहलना भी शुरू कर दिया और 24 मई को उनकी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। मंगलवार को गीता की अस्पताल से छुट्टी देकर घर भेज दिया गया। चिकित्सकों ने पैनल बनाकर इलाज पर की चर्चा
पैनल में चिकित्सकों ने गीता के उपचार को लेकर कई बार चर्चा की। कुछ चिकित्सकों ने सलाह दी कि गीता को मैकेनिकल वेंटिलेटर पर रखा जाए, लेकिन अस्पताल के संक्रमण नियंत्रण विभाग के अध्यक्ष डॉ. आनंद अग्रवाल ने उन्हें नॉन इनवेसिव वेंटिलेटर पर रखने की सलाह दी। गीता को सात दिन नॉन इनवेसिव वेटिलेटर पर रखने से उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ। गीता को एचआइवी ग्रसित रोगियों के उपचार में प्रयोग होने वाली दवाएं भी दी गईं। इससे उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता चला गया। पैनल में डॉ. आनंद अग्रवाल, डॉ. कमलजीत, डॉ. ऋषि राणा, डॉ. सुनेना, डॉ. विवेक, डॉ. संदीप और नर्सिंग इंचार्ज मुन्नी शर्मा शामिल रहीं। अमूमन सांस के गंभीर रोगियों के वेंटिलेटर पर आने के बाद रिकवरी की दर बहुत ही कम रह जाती है। गीता जब वेंटिलेटर पर ली गईं तो उनकी हालत बहुत गंभीर थी। चिकित्सकों की मेहनत और भगवान ने साथ दिया तो गीता आज ठीक होकर अपने घर चली गईं।
- डॉ. आनंद अग्रवाल, अध्यक्ष, संक्रमण नियंत्रण विभाग, बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज, खानपुर कलां