पृथ्वी को पापियों से मुक्त करना ही श्रीकृष्ण के अवतरित होने का था उद्देश्य
श्री साधना समाज कल्याण ट्रस्ट द्वारा ईदगाह रोड पर चल रही श्रीमदभागवत कथा के दौरान कथवाचाक प्रमोद सुधाकर महाराज ने कहा कि पुराणों में बताया गया है कि जब श्रीकृष्ण ने देह त्यागा, तब कलयुग का आगमन हुआ। जब चारों ओर पाप हो रहे थे तब भगवान ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से मथुरा के कारागर में जन्म लिया था।
संवाद सहयोगी, गन्नौर : श्री साधना समाज कल्याण ट्रस्ट द्वारा ईदगाह रोड पर चल रही श्रीमदभागवत कथा के दौरान कथवाचक प्रमोद सुधाकर महाराज ने कहा कि पुराणों में बताया गया है कि जब श्रीकृष्ण ने देह त्यागा, तब कलयुग का आगमन हुआ। जब चारों ओर पाप हो रहे थे तब भगवान ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से मथुरा के कारागर में जन्म लिया था। श्रीकृष्ण के अवतरित होने का मात्र एक उद्देश्य था कि इस पृथ्वी को पापियों से मुक्त किया जाए। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने जो भी उचित समझा वही किया। भगवान श्रीकृष्ण कर्मव्यवस्था को सर्वाेपरि माना, कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को कर्मज्ञान देते हुए उन्होंने गीता की रचना की जो कलिकाल में धर्म में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। इस अवसर पर आजादपुर टमाटर मंडी के प्रधान अशोक कौशिक, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष योगेश कौशिक, निशा कौशिक, अनिल कौशिक अतिथि के रूप में पहुंचे। ट्रस्ट के प्रधान श्रीभगवान गौतम, संजय गौतम, अर्चना गौतम, किरण गौतम आदि कथा की व्यवस्था में अपना सहयोग दे रहे हैं।