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    सालों से जलभराव की मार झेल रहे इस गांव के किसान, सैकड़ों एकड़ धान बर्बाद; अवैध कब्जे-टूटी सड़क ने भी बढ़ाई मुसीबत

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 03:57 PM (IST)

    एक गाँव के 50 किसान जलभराव से परेशान हैं, जिससे उनकी सैकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई है। अवैध कब्जों और टूटी सड़कों ने स्थिति को और खराब कर दिया है, क्योंकि इससे जल निकासी में बाधा आ रही है। किसानों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।

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    जलभराव से परेशान किसान। जागरण

    संवाद सहयोगी जागरण, राई। झिझौली गांव के किसानों के लिए बारिश का मौसम कहर से कम नहीं है। पूरी तरह से खेती-बाड़ी पर निर्भर करीब पचास किसानों की दो सौ एकड़ में लगाई जाने वाली धान की फसल बर्बाद हो जाती है। कारण है खेतों में जलभराव। बारिश के पानी की निकासी के रास्ते अवरुद्ध होने से यह समस्या चालीस सालों से बनी हुई है। पानी निकासी  के रास्ते पर कई लोगों ने घर बना रखे हैं।

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    राई खंड का झिंझौली ग्राम लगभग तीन हजार की आबादी अपने में समेटे हुए है। यहां के अधिकांश लोग खेती और पशुपालन से जीवन निर्वाह करते है। चालीस साल पहले गांव के खेतों से बारिश के पानी की निकासी की कोई खास समस्या नहीं थी। आज यह समस्या पूर्व की तरफ स्थित खेतों की व्याप्त है। पिछले चालीस सालों में जलभराव के चलते बीसियों बार धान की फसल खराब हुई है।

    एकाध बार ऐसा भी हुआ है कि दिसंबर के माह में हुई बारिश ने गेहूं की फसल को चौपट कर दिया। ऐसे में कई-कई एकड़ कृषि भूमि के मालिकों को अपने लिए बाजार से अनाज खरीदना पड़ा। बार-बार फसलें खराब होने के कई किसानों के सिर पर कर्ज चढ़ा हुआ है।

    पानी की निकासी के रास्ते पर अवैध रूप से बसे हुए लोगों को हटाने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा कई बार तीन बार नोटिस जारी किए गए हैं। कई लोगों ने सरकार की बात मानते हुए गांव के हित में अपने कब्जे खाली भी कर दिए हैं। लेकिन कई लोगों द्वारा राजनैतिक दबाव का इस्तेमाल करके नोटिसों को धत्ता बताया जा रहा है।

    संपर्क मार्ग न होने से भी परेशानी

    खेतों में हर साल होने वाले जलभराव के अलावा गांव वाले संपर्क मार्ग न होने से भी परेशान हैं। गांव के निकट से ही बवाना-बड़वासनी मार्ग गुजरता है। गांव से मात्र एक किलोमीटर दूर स्थित इस रास्ते तक गांव की ग्यारह फुट चौड़ा कच्चा रास्ता और इसके साथ-साथ 44 फुट चौड़ा सिंचाई विभाग की जमीन है।

    यहां पर पक्की सड़क बनाने की गांव वालों की पुरानी मांग है। गांव वालों का कहना है कि इस सड़क के निर्माण से हलालपुर, जटौला, फिराजपुर, झिंझौली तथा हरेवली गांवों के तीस हजार के करीब लोगों का फायदा होगा। उनका सीधा जुड़ाव सोनीपत और दिल्ली से हो जाएगा।

    इनके अलावा गांव में औषधालय की कमी भी महिलाओं, बच्चों और खासकर बुजुर्गों को खलती है। गांव में चल चिकित्सालय का फेरा भी नहीं लगता है। ऐसे ही बैंक के कामों के लिए गांव वालों को दो किलोमीटर दूर हलालपुर जाना पड़ता है।

    खेतों से पानी की निकासी के मार्ग पर 24-25 घर अवैध रूप से बने हुए हैं। राजनैतिक दबाव के चलते प्रशासन इनको गिराने कार्रवाई नहीं कर रहा है। नाले की जमीन का डिमार्केशन भी हो चुका है। जैसे-जैसे बारिश का सीजन आता है हमारी सांसें उपर-नीचे होने लगती हैं।

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    जयकरण, किसान

    एक निर्धारित व्यवस्था के तहत हम सरकार को अपने गांव के बारे में जानकारी देते रहते हैे। पंचायत नियमानुसार कई विषयों पर प्रस्ताव बनाकर प्रशासन को दे चुकी है। हमें आशा है कि सरकार शीघ्र ही हमारी समस्याओं को दूर करने की कार्रवाई करेगी।

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    नीतू, सरपंच, कतलूपुर

    हम कई परिवारों को लाखों रुपये का हर साल नुकसान हो रहा है। हमारे नुकसान की कीमत पर गांव के ही लोग नाले के राह पर कब्जा जमाए बैठे हैं। सरकार हमें इस समस्या से छुटकारा दिलाए।

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    रामचंद्र, किसान

    नाले पर कब्जे को लेकर तहसीलदार खरखौदा की तरफ से शिकायत मिलने के बाद कब्जाधारियों के खिलाफ नोटिस जारी किए गए थे। आगे नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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    मुकेश, एसडीओ, सिंचाई विभाग हरियाणा, दिल्ली कार्यालय