आशा कार्यकत्रियों ने डॉक्टर पर लगाया उगाही का आरोप
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : गर्भवती महिलाओं के इलाज और टीकाकरण में मदद के लिए रखी गई आशा कार्यकत्रि
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : गर्भवती महिलाओं के इलाज और टीकाकरण में मदद के लिए रखी गई आशा कार्यकत्रियों को मिलने वाले मेहनताने पर विभाग के ही अधिकारी डाका डाल रहे हैं। शनिवार को कई कार्यकत्रियां सीएमओ से शिकायत करने कार्यालय में पहुंचीं।
सीएमओ ने बताया कि आशाओं की शिकायत के आधार पर जांच कमेटी गठित की गई है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। आशा से वसूली का मामला मेरठ मंडल में बैठक के दौरान अपर स्वास्थ्य निदेशक के सामने भी उठ चुका है। कैला भट्ठा क्षेत्र में कार्यरत आशा गीता ने बताया कि चिकित्साधिकारी क्षेत्र में कार्यरत आशाओं से पैसे की मांग कर रही हैं। शशिबाला ने बताया कि डेढ़ वर्ष तक लगातार काम करने के बाद बैंक में 14 हजार से 16 हजार रुपये तक आए हैं। केंद्र प्रभारी डीआइओ (डिस्ट्रिक्ट इम्युनाइजेशन आफिसर) के नाम पर पैसे मांगती हैं। वहीं डीआइओ डा. विश्राम ¨सह ने पैसे मांगने के आरोप को बेबुनियाद बताया। किसी भी आशा या केंद्र प्रभारी से पैसे की मांग नहीं की गई है। शिकायत करने वालों में शशिबाला, सीमा रानी, रीना मिश्रा, सरिता तिवारी, आसमा, सुनीता सहित अन्य शामिल थीं। चिकित्साधिकारियों पर चेतावनी का भी नहीं हो रहा कोई असर
पैसे मांगने की शिकायत सीएमओ के पास पहले भी पहुंच चुकी थी। इसके बाद एनयूएचएम (नेशनल अर्बन हेल्थ मिशन) प्रभारी ने 42 स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों को चेतावनी जारी किया था कि अगर किसी कर्मचारी या आशा से वसूली की शिकायत पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी, इसके जिम्मेदार वह स्वयं होंगे। इसके बावजूद किसी प्रभारी पर असर नहीं हुआ। केस के अनुसार आशाओं को होता है भुगतान
संस्थागत प्रसव और परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए आशा मदद करती हैं। बदले में उन्हें अलग-अलग मदों में शासन की तरफ से भुगतान किया जाता है। वैक्सीनेशन कराने पर 75 रुपये, नसबंदी कराने पर 150 रुपये और प्रसव कराने पर चार सौ रुपये दिए जाते हैं। एक महीने में अलग-अलग महिलाओं का इलाज कराने सहित प्रसव कराने तक एक आशा को दो से तीन हजार रुपये मिलते हैं। विभाग द्वारा हर महीने एक हजार रुपये दे दिए जाते हैं, जबकि शेष धनराशि कुछ महीनों के बाद भुगतान की जाती है। इससे पांच या छह महीने का एक साथ भुगतान होने पर 15 से 20 हजार रुपये का औसत होता है। इस भुगतान के लिए शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी अतिरिक्त भुगतान की मांग करते हैं। जबकि अधिकांश केंद्र प्रभारियों का वेतन अस्सी हजार से एक लाख रुपये के बीच में है, इसके बावजूद दो से तीन हजार कमाने वाली महिलाओं से सुविधा शुल्क की मांग की जाती है।
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कैला भट्ठा क्षेत्र में कार्यरत कई आशा शिकायत करने मेरे पास आई थीं। आशा ने कैला भट्ठा प्रभारी चिकित्साधिकारी पर आरोप लगाया है कि बैंक में आए पैसे की मांग डीआइओ के नाम की जा रही है। मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी है, जल्द ही टीम रिपोर्ट देगी। अगर मामला सही पाया जाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- डा. एनके गुप्ता, सीएमओ