गांव स्तर पर टीबी से ग्रस्त लोगों की पहचान कर किया जाएगा उपचार
उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने कहा कि एक कदम टीबी मुक्त भारत की
जागरण संवाददाता, सिरसा : उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने कहा कि एक कदम टीबी मुक्त भारत की ओर अभियान के तहत जिला में टीबी से प्रभावित लोगों को चिह्नित किया जाए। विशेषकर जिला के टीबी रोग से संभावित गांवों में विशेष अभियान के तहत टीबी के लिए जांच कर पुष्टि की जाए और पुष्टि होने पर उनका उपचार शुरू किया जाए।
उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण लघु सचिवालय के बैठक कक्ष में टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत आयोजित अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सिविल सर्जन डा. कृष्ण कुमार, उप सिविल सर्जन डा. रोहताश सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
उपायुक्त बिढ़ाण ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से 2025 तक टीबी यानी कि ट्यूबरक्लोसिस जैसी खतरनाक बीमारी को खत्म करने का संकल्प लिया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशानुसार दो नवंबर तक एक कदम टीबी मुक्त भारत की ओर के तहत एक्टिव केस फाइंडिग अभियान चलाया जा रहा है। पहले चरण में टीबी के मरीजों को खोज निकालने और उनका उपचार शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन मरीजों तक पहुंचने का प्रयास है जो मरीज जांच केंद्र तक नहीं पहुंच पाते हैं। इसमें विशेषकर स्लम एरिया, ईंट भट्टे, मजदूर कॉलोनियों व जिला जेल पर फोकस किया जाएगा। ---- वर्ष 2020 में अब तक 1401 टीबी रोगियों की पहचान :
सिविल सर्जन डा. कृष्ण कुमार ने बताया कि एक कदम टीबी मुक्त भारत के तहत एक्टिव केस फाइंडिग कैंपेन के तहत जिले में अत्यधिक टीबी के मरीज पाए जाने वाले ऐरिया को चिह्नित किया गया है और उन क्षेत्रों में टीमें जाकर स्क्रीनिग का कार्य करेंगी। जिले में एक डिस्ट्रिक टीबी अस्पताल, 15 टीबी जांच केंद्र व 6 टीबी यूनिटस काम कर रही है। उन्होंने बताया कि निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के ईलाज के दौरान प्रत्येक मरीज को 500 रुपए प्रतिमाह भी दिए जाते हैं। इस योजना के तहत 63 लाख 5500 रुपये की राशि सीधे रोगी के खातों में दी गई है। इसके अलावा टीबी रोगी की सूचना देने वालों को 62500 रुपये, टीबी दवाइयां उपलब्ध करवाने वालों को 2 लाख 39 हजार 500 तथा टीबी दवाइयां उपलब्ध करवाने वाले निजी चिकित्सकों को 1 लाख 21 हजार 500 रुपये की राशि दी गई है। वर्ष 2020 में अब तक 1401 रोगियों की पहचान की जा चुकी हे जोकि करीब 63 फीसद है। इनमें से 1265 सरकारी अस्पताल में जबकि 136 निजी अस्पतालों में चिन्हित किए गए हैं।