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नंदीशाला की देखरेख के अलावा अपने पिता के कार्य में भी हाथ बंटाता था अमित दुबे

संवाद सहयोगी डबवाली चौटाला हाईवे पर बीती रात बेसहारा पशु से टकराने के कारण मार

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 11:21 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jun 2019 06:41 AM (IST)
नंदीशाला की देखरेख के अलावा अपने पिता के कार्य में भी हाथ बंटाता था अमित दुबे
नंदीशाला की देखरेख के अलावा अपने पिता के कार्य में भी हाथ बंटाता था अमित दुबे

संवाद सहयोगी, डबवाली : चौटाला हाईवे पर बीती रात बेसहारा पशु से टकराने के कारण मारा गया युवक अमित दुबे पिछले छह महीनों से नंदीशाला डबवाली के प्रबंधक के रूप में कार्य करता था। इसके साथ ही वह अपने पिता के काम में भी हाथ बंटाता था। उसके पिता सरकारी स्कूल के समीप चाय का खोखा लगाते है। मृतक अमित दुबे के दो और भाई है और वह मझला था। उसका बड़ा भाई अंकित दुबे बीजेपी के आइटी सेल में कार्य करता है, जबकि छोटा बेरोजगार है। मृतक अमित दुबे की मां बीमार रहती है। कैटल फ्री जिला में बेसहारा पशुओं के कारण हो रहे हादसे, अब तक 100 से ज्यादा की मौत

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जब कोई वीआइपी शहर में आता है तो नगरपरिषद कर्मचारियों हाथों में डंडे लेकर हाईवे पर खड़े हो जाते हैं। मकसद सिर्फ यही होता है कि कोई बेसहारा पशु हाईवे पर न आ सके। वीआइपी चला जाता है तो पुन: बेसहारा पशु हाईवे पर विचरण करते हैं। आमजन की नगरपरिषद को परवाह तक नहीं है। इसी लापरवाही की भेंट डबवाली निवासी 24 वर्षीय अमित दुबे चढ़ गया। बेसहारा पशुओं के कारण हुए हादसों में करीब 100 से अधिक लोग दम तोड़ चुके हैं। इसके बावजूद प्रशासन एक ही राग अलाप रहा है कि जिला सिरसा कैटल फ्री हो चुका है।

बताते चलें, अगस्त 2017 में प्रदेश सरकार ने डबवाली में नंदीशाला की शुरुआत की थी। वर्तमान समय में करीब पौने छह सौ बेसहारा पशु पल रहे हैं। करीब एक साल 10 माह में सरकार नंदीशाला को कुल 22 लाख रुपये की मदद दे चुकी है। जिसमें से 10 लाख रुपये से चाहरदीवारी, 10 लाख से तूड़ी स्टोरेज तथा दो लाख रुपये पशुओं के चारे पर खर्च हो चुके हैं।

इस संबंध में नंदीशाला युवक मंडल के अध्यक्ष राजेश जैन बताते हैं कि सरकार से ज्यादा तो जनसहयोग मिला है। करीब 20 लाख रुपये की लागत से पांच शेड का निर्माण करवाया जा चुका है। इतना होने के बावजूद करीब 200 पशु शेड से बाहर गर्मी में रहते हैं। इसके अलावा हर रोज 15 से 20 क्विंटल तूड़ी चाहिए। लोगों से तूड़ी मांगकर पशुओं का पेट भरा जाता है। पशुओं को हरा चारा देने का कोई विकल्प ही नहीं है। जबकि शहर में नंदीशाला से ज्यादा पशु घूम रहे हैं। जो हादसों की वजह बनते हैं। सरकार को चाहिए कि नंदीशाला को विकसित करे। इससे पशुओं को आश्रय मिलेगा, साथ ही हाईवे पर आमजन सुरक्षित यात्रा कर सकेगा। नंदीशाला के बाद सड़क पर पशु क्यों

अमित दुबे की मौत के बाद शहर में सिरसा रोड पर चल रही नंदीशाला सवालों के घेरे में आ गई है। शहर वासियों का कहना है कि सिरसा, चौटाला हाईवे पर सुबह से शाम तक आवारा पशु विचरते हैं। शहर की गलियों की हालत यही है। नंदीशाला को सरकार तथा लोगों का सहयोग मिल रहा है, इसके बावजूद बेसहारा पशुओं की संख्या शहर में बढ़ती जा रही है। रात को हुआ हादसा इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। नंदीशाला डबवाली के प्रधान विनोद बांसल ने कहा है कि सरकार ने कागजों में प्रदेश को कैटल फ्री घोषित कर रखा है। धरातल पर स्थिति बिल्कुल उलट है। सरकार मदद का वायदा करके मुकर रही है। नंदीशाला जन सहयोग से चल रही है। सरकार की नीतियां कर्मचारियों को समझ नहीं आ रही या फिर वे काम नहीं करना चाहते। हालात यह हैं कि शहर में हाईवे पर बेसहारा पशु घूम रहे हैं, जो हादसों की वजह बनते हैं।


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