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कैसे कटे मुसाफिरों की रात, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर दूर है रैन बसेरा

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By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 11:55 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 11:55 AM (IST)
कैसे कटे मुसाफिरों की रात, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर दूर है रैन बसेरा
कैसे कटे मुसाफिरों की रात, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर दूर है रैन बसेरा

अमनदीप कंबोज, सिरसा : ठंड के समय में मुसाफिरों को सुविधा देने के लिए प्रशासन द्वारा रैन बसेरा तो बनाया गया है लेकिन प्रशासन ने इसे बनाने से पहले शायद मुसाफिरों के बारे में नहीं सोचा और शहर के दूसरे छोर पर रैन बसेरा बना दिया। रैन बसेरा में अधिक संख्या यात्रियों की होती है। वहीं रैन बसेरा अनदेखी की भेंट चढ़ रहा है। साफ-सफाई न होने के कारण स्थिति भी बेहद खराब हो चुकी है।

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यात्रियों के लिए रैन बसेरा बस स्टैंड से दो किलोमीटर दूर वार्ड नंबर 13 के पटेल बस्ती में आर्य स्कूल के सामने बनाया गया है। दस साल पहले मुसाफिरों के लिए बनाया गया रैन बसेरा मुसाफिरों की पहुंच से काफी दूर है। अगर कोई यात्री दो या तीन घंटे बस या ट्रेन का इंतजार करता है तो वह रैन बसेरा में जाने की बजाय वह समय स्टेशन पर ही बैठकर गुजारना ही बेहतर समझता है। वहीं अधिक दूरी पर स्थान होने के कारण मुसाफिर वहां जाने से भी कतराते है। वहीं रैन बसेरे की देखरेख न होने के कारण लाखों की लागत से बनाई गई रैन बसेरा की बि¨ल्डग भी क्षतिग्रस्त होती जा रही है। डेढ़ साल से देखरेख के लिए नहीं कोई का¨रदा

डेढ़ साल से रैन बसेरा में साफ-सफाई और देखरेख के लिए कोई भी का¨रदा काम के लिए नहीं है। ऐसे में न तो रैन बसेरा की साफ सफाई नहीं हो पा रही है और न ही यहां की देखरेख हो पाती है। अधिक दूरी पर होने के कारण यात्री कम पहुंचते है जिसके कारण सरकारी काम करने वाले लोगों को यहां पर रहने के लिए जगह दे दी जाती है। 25 बेड, बिस्तर और उपयोग होने वाली सभी वस्तुएं उपलब्ध

रैन बसेरा में लोगों के ठहरने के चार कमरे, 25 बेड, बिस्तर, फ्रीज, गैस-सिलेंडर, आरओ व अन्य हर प्रकार की सुविधा है। ऐसे में देखरेख न होने के कारण सभी मशीनें खराब हो चुकी है। ऐसे में प्रशासन के द्वारा लगाया गया सरकारी खजाने का पैसा प्रशासनिक अनदेखी की भेंट चढ़ रहा है। जानकारी देने के लिए नहीं लगा किसी तरह का बैनर

बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन पर न तो कोई सूचना देने के लिए बैनर लगा हुआ और न ही किसी तरह का कोई वाहन लगाया जिससे यात्रियों को रैन बसेरा में पहुंचाया जाए। जब कोई अधिकारी यहां जांच के लिए पहुंचता है तो उनके दौरे से पहले यहां पर साफ-सफाई व लोगों को रैन बसेरा में पहुंचाने के लिए यहां वाहनों को लगाया जाता है । ऐसे में यात्री भी वहां जाने से कतराते है। रैन बसेरा के पीछे बना है कूड़ा डं¨पग स्टेशन

यात्रियों को सुविधा देने के लिए रैन बसेरे के पीछे ही डं¨पग स्टेशन बनाया गया है जिसके कारण रैन बसेरा के आसपास बेसहारा पशुओं और सुअरों का जमावड़ा लगा रहता है। इससे ठहरने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बि¨ल्डग के पीछे ही कूड़े का डं¨पग स्टेशन होने के कारण यहां दुर्गंध आती रहती है। इससे यात्रियों की परेशानी कम होने के की बजाए उनकी समस्या और बढ़ जाती है। रजिस्ट्रेशन के लिए भी नहीं कोई कर्मचारी, एमसी को सौंपी ड्यूटी

रात व दिन में रैन बसेरा में पहुंचने वाले यात्रियों की एंट्री करने के लिए कर्मचारी तक नहीं। ऐसे में प्रशासन के द्वारा सेक्टर 13 की एमसी और कमेटी को ही इसकी जिम्मेदारी सौंप दी है। ऐसे में अगर गलती से यात्री रात के समय में शरण लेने के लिए पहुंचता है तो उन्हे पहले बाहर लिखे नंबरों पर फोन घुमाना पड़ता है। अगर ताला खोलने के लिए कोई पहुंच जाए तो ठीक अन्यथ यहां से उसे वापस लौटना पड़ता है। रैन बसेरा में न तो कोई का¨रदा काम के लिए रखा गया है और न ही साफ-सफाई हो पाती है। वहीं कम मुसाफिर ही यहां पहुंचते है। अगर कोई पहुंचता भी है तो उसे पेरशानी का सामना करना पड़ता है। प्रशासन इसके लिए जा कोई नियमित व्यक्ति को नियुक्त करते ताकि इसकी साफ-सफाई हो सके।

कौशल्या वर्मा, एमसी, वार्ड 13


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