हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष तंवर अब संसद के बजाय जाना चाहते हैं विधानसभा
डॉ. अशोक तंवर अब दिल्ली की राजनीति के बजाय चंडीगढ़ जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ होने पर वे विधानसभा प्रत्याशी बनने को तवज्जो देंगे,
जेएनएन, सिरसा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर अब दिल्ली की राजनीति के बजाय चंडीगढ़ जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ होने पर वे विधानसभा प्रत्याशी बनने को तवज्जो देंगे, लेकिन अंतिम फैसला पार्टी करेगी। शनिवार को सिरसा में पत्रकार वार्ता में तंवर हलके के नाम पर चुप्पी साध गए और बोले, 90 में से जहां से पार्टी चाहेगी वहां से चुनाव लड़ने को तैयार हूं।
नगर निकाय चुनाव पर तंवर ने कहा कि पार्टी के ज्यादातर सदस्य सिंबल पर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। जिन जिलों में चुनाव हो रहे हैं वहां के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कर रहे हैं और जल्द ही सिंबल पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह चुनाव विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के लिए टेस्ट होगा और इसी से प्रदेश की जनता के रुझान सामने आएंगे।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पराली की आड़ में सरकार सरपंचों को राजनीतिक दुर्भावना से निलंबित या बर्खास्त कर रही है जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले तो इनेलो के शासनकाल को जंगलराज कहा गया था और अब भाजपा के शासनकाल को जंगलराज कहा जाने लगा है। जींद उपचुनाव के बारे में तंवर ने कहा कि सरकार चुनाव कराने से बचना चाहती है और तरह-तरह के बहाने ढूंढ रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग सरकार के हाथ की कठपुतली बना हुआ है।
दिल्ली संभालें केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हरियाणा में सक्रिय होने पर तंवर ने कहा कि वे दिल्ली तो संभाल नहीं पा रहे, अब चुनाव देखकर हरियाणा में बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। अन्ना हजारे और लोकपाल के सहारे दिल्ली की सत्ता हथिया ली और अब दोनों को ही भूल गए।
कांग्रेस में कलह नहीं
कांग्रेस में बिखराव को नकारते हुए प्रदेशाध्यक्ष ने कि पांच राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनेगी और रुझान कांग्रेस के पक्ष में हैं। हरियाणा के सभी दिग्गज नेता पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त हैं और इसके बाद पूरी पार्टी एक मंच पर दिखाई देगी। कांग्रेस में कोई कलह नहीं है।
तंवर ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कभी आरबीआइ बनाम वित्त मंत्रालय तो कभी सीबीआइ बनाम सीबीआइ की लड़ाई छेड़कर संवैधानिक संस्थाओं को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। उनके साथ प्रदेश महासचिव नवीन केडिया, ओमप्रकाश केहरवाला, आनंद बियानी, कुलदीप गदराना, अमित सोनी, कर्मचंद शर्मा, राजेश खत्री भी थे।