सर्विस टैक्स गबन मामले की स्पेशल टीम करेगी जांच
जागरण संवाददाता सिरसा नगर परिषद के सर्विस टैक्स जमा करवाए जाने मामले में हुए 63 लाख रुपये
जागरण संवाददाता, सिरसा : नगर परिषद के सर्विस टैक्स जमा करवाए जाने मामले में हुए 63 लाख रुपये के गबन की जांच विभाग के अतिरिक्त निदेशक के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी करेगी। निदेशक ने कमेटी में मुख्यालय से लेखाधिकारी तथा कानूनी पहलुओं की पड़ताल के लिए एडीए को कमेटी का सदस्य बना दिया है। कमेटी किसी भी समय सिरसा पहुंच कर रिकार्ड हासिल कर सकती है। उपायुक्त ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा था, जिसमें संदेह जताया गया था कि नगर परिषद के कई अधिकारी व कर्मचारी इस गबन मामले में संलिप्त मिलेंगे। उपायुक्त ने इस मामले में जल्द जांच का आग्रह किया था।
ये था मामला
जीएसटी इंटेलिजेंस ने नगर परिषद की कुछ एंट्रियों की जांच की तो सर्विस् टैक्स नाममात्र जमा ही पाया गया, जिसके बाद अप्रैल 2013 से जून 2017 तक का रिकार्ड जांच के दायरे में लिया। जिसमें नगर परिषद को 72 लाख 84,398 रुपये सर्विस टैक्स अदा करना था, लेकिन परिषद ने 9 लाख 70 हजार 599 का ही भुगतान किया। जीएसटी के महानिदेशालय द्वारा 5 सितंबर 2017 को नगर परिषद के अधिकारियों से किराए के रूप में हासिल होने वाली आय तथा उस पर चुकाए सर्विस टैक्स का ब्यौरा मांगा, लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने सालाना आयकर रिटर्न, बेलेंस सीट और एसटी थ्री का रिकार्ड नहीं दिया, जो बाद में प्रस्तुत किया गया। इसके बाद सर्विस टैक्स का आंकलन किया गया, जिसमें 63 लाख 23 हजार 244 रुपये का भुगतान नहीं पाया गया। रसीदों में की गई थी छेड़छाड़ यह कार्य इतनी सफाई से किया गया कि रसीद व बैंकों के चालान में छेड़छाड़ की गई। पंजाब नेशनल बैंक में जमा करवाई राशि की रसीदें प्रस्तुत की गई। बैंक से मिली रसीद पर कांट छांट कर हजारों की राशि को लाखों में दर्शा दिया गया। अप्रैल् 2013 में एक लाख 2 हजार 67 की बजाया 2067 रुपये जमा करवाए गए और रसीद में इसे पूरा दिखाया गया। इसी तरह की गड़बड़ अन्य महीनों में भी दिखाई गई। चार ईओ के कार्यकाल की हुई जांच जीएसटी की जांच चली तो नगर परिषद के कर्मचारियों के बयान शुरू हुए सामने आया कि कैशियर और सीए के माध्यम से सर्विस टैक्स की अदायगी की जाती है। कुछ सर्विस टैक्स के चेक सीधे कर्मचारी के नाम भी काटे गए और कुछ में नकद जमा राशि दिखाई गई। इस दौरान नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी एसके गोयल के बाद रोहताश बिश्नोई, बीएन भारती और वीरेंद्र सिंह रहे और वीरेंद्र सिंह के कार्यकाल में ही यह मामला पकड़ में आया। :::::::इस मामले में जांच अब निदेशालय स्तर पर होगी। अब तक 38 लाख से अधिक की राशि जमा हो चुकी है। सर्विस टैक्स से संबंधित शेष राशि को भी जल्द जमा करवाया जाएगा। संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी, एफआइआर भी की जा सकती है। फिलहाल निदेशालय से आने वाली टीम का इंतजार है।
- अमन ढांड़ा, कार्यकारी अधिकारी, नगर परिषद