Move to Jagran APP

छात्र संघ का चुनाव लड़कर राजनीति में आए नवीन केडिया

पिता चाहते थे कि बेटा पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी करे। मगर ब

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 11:50 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 11:50 PM (IST)
छात्र संघ का चुनाव लड़कर राजनीति में आए नवीन केडिया
छात्र संघ का चुनाव लड़कर राजनीति में आए नवीन केडिया

महेंद्र ¨सह मेहरा, सिरसा:

loksabha election banner

पिता चाहते थे कि बेटा पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी करे। मगर बेटे ने छात्र संघ का चुनाव लड़कर राजनीति के अंदर कदम रख दिया और एक अलग पहचान बनाई। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश संगठन महासचिव नवीन केडिया ने राजकीय नेशनल कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ कर राजनीति में कदम रखा। नवीन केडिया कांग्रेस पार्टी की तरफ से वर्ष 2014 में सिरसा विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ चुके हैं।

1987 में छात्र संघ का लड़ा चुनाव

नवीन केडिया ने छात्र नेता रहते हुए छात्रों की हर समस्या के समाधान क लिए हमेशा तैयार रहते थे। कॉलेज में जिस भी विद्यार्थी के कोई समस्या होती। नवीन किसी भी संगठन से होने पर साथ देते थे। इससे नवीन की कालेज में पहचान बनती गई। नवीन केडिया ने 1987 में राजकीय नेशनल कॉलेज के अंदर 11 वीं कक्षा में छात्र संघ का चुनाव लड़ा। चुनाव में नवीन केडिया सीआर चुने गये। इसके बाद 1988 में उपप्रधान बने। इसके बाद 1990 में बीए प्रथम कक्षा में पढ़ाई के दौरान प्रधान बने। 1989 में आरक्षण आंदोलन के अंदर भाग लिया। प्रधानमंत्री वीपी ¨सह से 10 सदस्यीय छात्र प्रतिनिधि मंडल में शामिल हो बैठक की। 1996 के अंदर मजदूर नेता बनकर मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ी। वर्ष 1995 में कांग्रेस पार्टी के अंदर जिला युवा उपप्रधान नियुक्ति किए गये। वहीं 1996 में राज्य युवा उपप्रधान के पद पर नियुक्ति मिली। 2000 में जिला प्रधान व इसके बाद प्रदेश संगठन सचिव चुने गये। मौजूदा समय में कांग्रेस पार्टी के अंदर प्रदेश महासचिव के पद पर कार्य कर रहे हैं।

1991 में मंत्री के बने निजी सचिव

नवीन केडिया के पूर्व मंत्री लक्ष्मण अरोड़ के साथ मधुर संबंध थे। जिसको लेकर उन्होंने नवीन केडिया को अपने साथ रखकर राजनीति गुर दिए। नवीन केडिया को वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव के अंदर कांग्रेस पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ा। अप्रत्यक्ष चुनाव से नहीं बन सकती पहचान

नवीन केडिया ने बताया कि प्रदेश सरकार अप्रत्यक्ष चुनाव करवा रही है। मैंने दोनों तरह के चुनाव लड़ा हैं। छात्र नेता की पहचान अप्रत्यक्ष चुनाव से नहीं बन सकती है। प्रत्यक्ष चुनाव से ही छात्र की पहचान बनती है। क्योंकि छात्र की पहचान कॉलेज में होती है। जबकि अप्रत्यक्ष में छात्र विभाग तक ही सिमट कर रह जाता है।

पिता से मिली सीख

नवीन केडिया ने बताया कि पढ़ाई के दौरान कॉलेज से शैक्षणिक भ्रमण के लिए टूर जाना था। जिसके लिए पिता से टूर पर जाने के लिए 500 रुपये मांगे। पिता ने 500 रुपये निकालकर देते हुए कहा जब पैसे कमाने लगेगा तब पता चलेगा। पैसे किस मेहनत से कमाए जाते हैं। इसके बाद पिता से पैसे नहीं लिए। शहर में दुकान से सांइस का सामान खरीद कर स्कूलों में बेचने लगा। इसके बाद छोटे मापतौल यंत्र बेचने लगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.