इंदिरा गांधी नहर के पुल पर बंद फाटक की सील उखाड़कर आ-जा रहे शरारती
गांव सकताखेड़ा-अबूबशहर के नजदीक इंदिरा गांधी कैनाल पर स्थित रेलवे
संवाद सहयोगी, डबवाली : गांव सकताखेड़ा-अबूबशहर के नजदीक इंदिरा गांधी कैनाल पर स्थित रेलवे के बंद फाटक से छेड़छाड़ की घटनाओं पर विराम नहीं लग रहा। हालात यह हैं कि अबूबशहर गांव से नहर की पटरी होकर लोहगढ़ या ढाबां जाने वाले लोग रेलवे की सील तोड़कर प्रवेश कर रहे हैं। जिससे कभी भी बड़ा हादसा घटित हो सकता है। चूंकि फाटक की एक ओर इंदिरा गांधी कैनाल के ऊपर से रेलवे लाइन क्रॉस करती है। इन दिनों तेज गति की मालगाडि़यां चल रही हैं। सील तोड़कर क्रॉस करने के दौरान अगर संगरिया या बठिडा साइड से मालगाड़ी आ गई तो कोई अनहोनी हो सकती है। हालांकि रेलवे ने दोपहिया वाहन चालकों को आने-जाने के लिए मार्ग दे रखा है। संदेह जताया जा रहा है कि चारपहिया वाहन चालकों ने क्रॉस करने के लिए सील तोड़ी है। बताया जाता है कि ग्रामीणों की सूचना के बाद रेलवे ने लोहे की तारों के साथ गेट को बांधा है। ----------------- 1979 में बना था पुल, तभी से बंद है फाटक
ग्रामीणों ने बताया कि इंदिरा गांधी कैनाल पर पुल नंबर 28 वर्ष 1979 में बनाया गया था। रेलवे ट्रैक पर हादसे न हो, इसलिए फाटक लगाकर पटरी बंद कर दी गई थी। फाटक पर पहले ताले लगाए जाते थे। शरारती तत्व नहर की पटरी क्रॉस करने के लिए ताले तोड़ देते थे। रेलवे ने तालों की जगह पर लोहे की सील लगा दी थी। अब शरारती सील को उखाड़कर क्रॉसिग करने लगे हैं। ग्रामीणों के अनुसार कोरोना के कारण रेलगाडिय़ां बंद हैं। वहीं इलेक्ट्रिक पैनल का कार्य पूरा होने के कारण कभी भी रेलगाडिय़ां शुरु हो सकती हैं। अगर लापरवाही से हादसा हो गया तो जिम्मेवार कौन होगा? ग्रामीणों ने रेलवे से कोई व्यवस्था करने की मांग की है। ----------------- इंजीनियरिग शाखा का काम
इधर डबवाली रेलवे स्टेशन अधीक्षक होशियार सिंह ने बताया कि बंद फाटक के ताले या सील तोडऩा गैर कानूनी है। रेलवे फाटक इंजीनियरिग शाखा के तहत आते हैं। डबवाली में जेई एसके पासवान हैं। इस संबंध में जेई एसके पासवान को कॉल की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।