वीर जवानों का गांव है लुदेसर, ब्रिटिश शासन ने गांव में बनवाया था वार मेमोरियल
महेंद्र ¨सह मेहरा, सिरसा सिरसा मुख्यालय से 22 किलोमीटर की दूरी पर बसे लुदेसर गांव की अल
महेंद्र ¨सह मेहरा, सिरसा
सिरसा मुख्यालय से 22 किलोमीटर की दूरी पर बसे लुदेसर गांव की अलग से पहचान है। गांवों को वीरों की भूमि से भी जाना जाता है। गांव के वीर सैनिकों ने प्रथम विश्व, द्वितीय विश्व युद्ध, भारत पाक के बीच 1965, 1971 व 1965 में भारत चीन के बीच युद्ध में भाग लिया। यहीं नहीं देश को आजादी दिलाने में भी गांव के स्वतंत्रता सेनानियों ने अहम भूमिका निभाई। सैनिकों के गांव लुदेसर की अब बेटियां भी आगे आने लगी है। गांव के एक परिवार में तीन पीढ़ी ने सेना में देश सेवा की। अब चौथी पीढ़ी गांव निवासी बिजेंद्र ¨सह की बेटी सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर सेवा दे रही है। कभी थे हर घर में सैनिक
प्रथम विश्व युद्ध 1914-19 के समय गांव की आबादी 400 थी। उस समय 42 जवान सेना में भर्ती थे। गांव में हर परिवार से सैनिक था। सैनिकों ने ब्रिटिश सेना की ओर से महायुद्ध में भाग लिया। ब्रिटिश सरकार ने खुश होकर बहादुरों के सम्मान में वर्ष 1921 में वार मेमोरियल स्थापित करवाया। वहीं दस साल के लिए गांव का आबियाना माफ किया गया। दूसरे विश्वयुद्ध 1939-45 में गांव के 101 सैनिकों ने भाग लिया और विभिन्नों देशों में हुए युद्ध में भाग लिया। गांव के 11 सैनिक देश के लिए शहीद हुए। इस पर गांव में एक ओर स्मारक बनाया गया। ब्रिटिश सरकार ने खुश होकर गांव में कुआं बनाने के लिए 5 हजार रुपये की राशि दी गई। इतना ही नहीं गांव में डाकघर भी बनवाया गया। भारत-चीन युद्ध में 47 सैनिकों ने लिया भाग
देश की आजादी की लड़ाई में भी सैनिकों ने भाग लिया। जिसके तहत गांव के सैनिकों ने विदेशों में जेल काटी। अकेले लुदेसर गांव में 5 स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं जो शायद ही किसी और गांव में मिल सकते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों में बालाराम गाट, मोमन राम, बदरी प्रसाद, तुलसी स्वामी, रामकिशन ने अहम भूमिका निभाई। वर्ष 1962 भारत चीन के बीच युद्ध में 47 जवानों ने भाग लिया। इसके बाद भारत पाक के बीच 36 सैनिकों ने भाग लिया। युद्ध में नायक रिसालदार विजय ¨सह छाती पर बम बांधकर पाक टैंक के आगे कूद गया। इससे टैंक को नष्ट कर शहीद हो गया। वर्ष 1971 भारत पाक के युद्ध में भी 20 सैनिकों ने भाग लिया। गांव के शहीदों व वीर सैनिकों की याद में एक ओर स्मारक लगाया गया। वार मेमोरियल में लिखा है इतिहास
गांव में ब्रिटिश शासन से वार मेमोरियल बना हुआ है। वार मेमोरियल पर हर युद्ध में भाग लेने वाले वीर सैनिकों की गाथा लिखी हुई है। जिसे देखकर युवा वर्ग में सेना के अंदर भर्ती होने का जज्बा रहता है। गांव के रिटायर्ड सैनिक भी युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए उत्साहित करते रहते हैं।