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परीक्षा से पहले प्रबंधों में हारे, कचरा प्लांट हुआ बंद

स्वच्छ सर्वेक्षण से पहले व्यवस्था से नहीं लड़ पा रहे। शहर से निकल र

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 05:23 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 06:20 AM (IST)
परीक्षा से पहले प्रबंधों में हारे, कचरा प्लांट हुआ बंद
परीक्षा से पहले प्रबंधों में हारे, कचरा प्लांट हुआ बंद

जागरण संवाददाता, सिरसा : स्वच्छ सर्वेक्षण से पहले व्यवस्था से नहीं लड़ पा रहे। शहर से निकल रहे कचरे को बकरियांवाली प्लांट में डाला जा रहा है लेकिन प्लांट बंद पड़ा है। यहां कचरे को अलग-अलग करने के लिए इस वर्ष टेंडर ही नहीं हो पाया। टेंडर की यह फाइल उपायुक्त कार्यालय में एक माह से अधिक समय से रुकी हुई है। सिरसा शहर का पूरा कचरा इसी प्लांट में जाता है और प्लांट जब चलता है तो कचरे का वर्गीकरण किया जाता है। गलने योग्य कचरे से खाद बनाई जाती है जबकि इलेक्ट्रिक व प्लास्टिक कचरे को अलग-अलग निकाल दिया जाता है।

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कई वर्षो से चल रहे इस प्लांट में कचरे से भरी ट्रालियां तो पहुंच रही हैं। उन्हें एक जगह डालकर छोड़ा जा रहा है। डेढ़ माह पहले तक यहां कचरे का वर्गीकरण करने के लिए कर्मचारी लगे हुए थे लेकिन ठेका समाप्त होने के साथ कर्मचारी चले गए हैं। अब यहां केवल तोल करने के लिए कर्मचारी हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कर्मचारियों की परिषद के माध्यम से ड्यूटी लगाई गई है। 30 लाख रुपये महीने का खर्च :::::::कचरा प्रबंधन प्लांट में कार्य करने के लिए प्रतिमाह करीब 30 लाख रुपये का खर्च आता है जिसमें बिजली के बिल भी शामिल हैं तथा साथ ही कर्मचारियों की सैलरी भी है जो फर्म के माध्यम से काम करते हैं। जब प्लांट चलता है तो कचरे को अलग-अलग किया जाता है और इसमें मशीनरी का भी प्रयोग है। फिर अलग-अलग कचरे को अलग-अलग स्थानों पर रखा जाता है। यह पूरा कार्य टेंडर लेने वाली फर्म के माध्यम से ही पूरा होता है। ::::::टेंडर की फाइल उपायुक्त कार्यालय में भेजी हुई है। एक माह पहले ही टेंडर होना था, देरी हो रही है। इसी वजह से कचरा प्रबंधन प्लांट बंद पड़ा है। शहर से कचरा प्रतिदिन जरूर वहां भेजा रहा है लेकिन उसे अलग-अलग नहीं किया जा रहा। जल्द ही इस मामले में टेंडर कर दिए जाएंगे।

अमन ढांडा, ईओ नगर परिषद तौल अधिक करने के मामले की हुई जांच, नहीं मिला कुछ संदिग्ध

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में कांटे पर अधिक तौल दिखाने के लिए रॉड़ लगाए जाने का मसला उठाया गया है। वीडियो में दिखाया गया कि किस तरह कचरे से भरी ट्रॉली का वजन अधिक किया जाता है। इस मामले में ईओ नगर परिषद ने जांच की है और उन्होंने इस जांच में वायरल वीडियो की सत्यता से इंकार किया है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल का रिकार्ड जांचा गया है। ट्रालियों के बीच 10 से 12 किलो का फर्क है जो कि सामान्य है। कभी अधिक कचरा तो कभी कम कचरा आ सकता है। तीन साल की अवधि के दौरान एक ट्राली में 80 किलो वजन औसत से अधिक पाया गया है। सात जगह कैमरे में दिखेगा तौल

ईओ ने बताया कि धर्मकांटा पर कैमरे लगे हुए हैं। ये कैमरे लगातार काम कर रहे हैं। कैमरों की दशा भी सही है। कैमरे इंटरनेट से जोड़े गए हैं और घर बैठे अधिकारी भी इन्हें देख सकते हैं। वे हर रोज इसकी मॉनिटरिग करते हैं। अब इन कैमरों को सात अधिकारियों के नंबरों से जोड़ दिया गया है जो पहले नंबरों पर थे।


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