अंग्रेजों के जमाने का भू-रिकार्ड होगा सुरक्षित
राजस्व विभाग कार्यालय में अक्सर सफेद रंग के कपड़े की पोटली में बंधा नजर
आनंद भार्गव, सिरसा : राजस्व विभाग कार्यालय में अक्सर सफेद रंग के कपड़े की पोटली में बंधा नजर आने वाला रिकार्ड जल्द ही विशेष धातु के डिब्बों में रैक में रखा हुआ नजर आएगा। इसके साथ ही रिकार्ड को स्कैन कर उसे साफ्ट कॉपी के रूप में कंप्यूटर में भी सुरक्षित रखा जा रहा है। सिरसा जिला में अंग्रेजों के जमाने का करीब 160 साल पुराना भू-रिकार्ड उपलब्ध है। पुराने रिकार्ड को दुरुस्त करके उसे गेलबेनाइजड बाक्सों में रखा जा रहा है। बाक्सों पर भी बार कोडिग सिस्टम लगाए जा रहे है तथा जमीन से जुड़े रिकार्ड को अलग-अलग कैटेगरी में बांटकर रखा जा रहा है। इन बाक्सों को रैक में सुव्यवस्थित तरीके से रखा जाएगा और जिस भी रिकार्ड की आवश्यकता होगी, वह तुरंत हाजिर होगा।
राजस्व विभाग के कार्यालय में नकल, जमाबंदी, कोर्ट केस से संबंधित दस्तावेज इत्यादि का रिकार्ड करीब 160 साल पुराना है। जिला के 335 गांवों का रिकार्ड विभाग के पास मौजूद है। आवश्यकता पड़ने पर दस्तावेज की मांग की जाती है तो विभाग के लिए उपलब्ध करवाना मुश्किल हो जाता है। कपड़े में बांधकर रखे गए रिकार्ड को सुरक्षित रखने के लिए पहले नीम के पत्ते रखे जाते थे परंतु इसके बावजूद सैकड़ों वर्ष पुराना रिकार्ड धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रहा है। अब सारे रिकार्ड को स्कैन कर कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है। एक क्लिक पर ही जिले के गांव की पूरी जानकारी मिल सकेगी। अब तक जिला के 125 गांवों का रिकार्ड स्कैन किया जा चुका है। इस काम में 40 कर्मचारी लगे हुए है। जो पुरानी फाइलों की बाइंडिग कर उन्हें दुरुस्त कर रहे है। अब तक 7 हजार फाइलों के 21 लाख पेज स्कैन हो चुके हैं। 23 कैटेगरी में ऑनलाइन उपलब्ध होगा रिकार्ड
कैपिटल बिजनेस सिस्टम प्रा. लि. को पुराने रिकार्ड को ऑनलाइन करने का काम सौंपा गया है। कंपनी के कर्मचारी इन दिनों दस्तावेजों की जांच व स्कैन करने में जुटे हुए हैं। ओवर हैंड स्कैनर की मदद से फाइलों को स्कैन किया जा रहा है। 23 कैटेगरी निर्धारित की गई है, जिनमें यह रिकार्ड उपलब्ध रहेगा। इस कैटेगरी में बही सूची, सजरा नस्ब, जमाबंदी, माफियों और पेंशन की सूची, गिरदावरी, इंतकाल, फर्द, नक्शा आदि शामिल है। यह रिकार्ड तहसील स्तर पर भी ऑनलाइन मौजूद रहेगा। 85 वर्षीय पूर्व पटवारी लच्छी राम उर्दू रिकार्ड को करवा रहे है हिदी में अनुवाद
विभाग के पास 1856-57 से रिकार्ड उपलब्ध है। इनमें 1963 के बाद का रिकार्ड हिदी में है, जबकि इससे पहले का रिकार्ड उर्दू भाषा में है। जो रिकार्ड उर्दू भाषा में है, उसे हिदी में अनुवाद किया जा रहा है। इस काम में गांव नुहियांवाली के 85 वर्षीय पूर्व पटवारी लच्छी राम सहयोग दे रहे है। 1935 में जन्मे लच्छी राम ने बताया कि वे दसवीं तक पढ़े हैं और साल 1951 से 1956 तक पटवारी के रूप में काम किया है। वे पुराने रिकार्ड में उर्दू शब्दों को पढ़ते है और उनका हिदी में अनुवाद करवाकर कंप्यूटीरकृत करवा रहे है। उन्होंने बताया कि पहले बीघे व बिस्से होते थे और 1961 के बाद मुरब्बे, किला नंबर दर्ज होने लगे। उन्होंने बताया कि विभाग के पास 1857 के गदर, 1920 की मलकीयत और अन्य रिकार्ड मौजूद है। जिला के 335 गांवों की शिजरा नस्ब यानि वंशावली मौजूद है, जिसमें पुराने समय में गांव में मौजूद विभिन्न जाति, धर्मो के लोगों का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पहले सिरसा हिसार जिले में शामिल था। उससे पहले 1856-57 में सिरसा खुद जिला था तथा फाजिल्का तहसील हुआ करता था। पूरी तरह सुरक्षित होगा रिकार्ड
कैपिटल बिजनेस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रतिनिधि अरविद ने बताया कि पुराने रिकार्ड को दुरुस्त कर उसे गेलबेनाइज्ड बॉक्स में सुरक्षित रखा जा रहा है। इन डिब्बों पर बार कोडिग सिस्टम होगा तथा ये रैक में रखे जाएंगे। पुराने रिकार्ड को स्कैन कर ऑनलाइन भी सुरक्षित रखा जा रहा है। पुराने रिकार्ड की नकल इत्यादि मांगने पर तुरंत उपलब्ध हो जाएगा तथा पूरा रिकार्ड सेंट्रेलाइज्ड हो जाएगा। पुराने रिकार्ड को भी किया जा रहा है दुरुस्त
पुराने रिकार्ड की पूरी तरह जांच के बाद डाटा तैयार किया जा रहा है। पुराना रिकार्ड जो फट गया है, उसकी बाइंडिग की जा रही है तथा पन्नों को टेप की मदद से चिपकाया जा रहा है। पुराने समय में रिकार्ड कपड़े की पोटली, जिसे बस्ता कहते है में होता था। उस पर धूल मिट्टी व बरसात की वजह से रिकार्ड खराब हो जाता था। अब पूरा रिकार्ड सुरक्षित रहेगा।
- सुशील कुमार पटवारी।