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¨हदी ही ऐसी भाषा जो राष्ट्र को एक सूत्र में बांध सकती है: चोपड़ा

जागरण संवाददाता, सिरसा: हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन, सिरसा द्वारा साहित्यकार

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 05:09 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 05:09 PM (IST)
¨हदी ही ऐसी भाषा जो राष्ट्र को एक सूत्र में बांध सकती है: चोपड़ा
¨हदी ही ऐसी भाषा जो राष्ट्र को एक सूत्र में बांध सकती है: चोपड़ा

जागरण संवाददाता, सिरसा: हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन, सिरसा द्वारा साहित्यकार डा. दर्शन ¨सह की पुण्य स्मृति में युवक साहित्य सदन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्यातिथि सेवानिवृत्त प्राचार्य पवनकुमार गुप्ता और विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी सुरेन्द्र कुमार गंगवान उपस्थित रहे। विशेष अतिथि के रूप में हरियाणा पर्यटन निगम के अध्यक्ष जगदीश चोपड़ा को आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर डा. शील कौशिक ने वर्तमान में हिन्दी भाषा की चुनौतियां एवं सम्भावनाएं विषय पर अपना आलेख प्रस्तुत किया। डा. आरती बंसल का कविता-संग्रह'ये कॉलेज की लड़कियां तथा मीनाक्षी मदान का कविता-संग्रह' गर्भ में कविता'का लोकार्पण हुआ, जिनकी समीक्षा प्रो. रूप देवगुण व प्राचार्य ज्ञानप्रकाश पीयूष ने प्रस्तुत की। गीत-संगीत में रविन्द्र, प्रदीप रहेजा, सुरेन्द्र ¨सह व मानवी ने गीतों व गजलों द्वारा श्रोताओं का मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच-संचालन हरीश सेठी झिलमिल ने किया।

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जगदीश चोपड़ा ने वर्तमान संदर्भ में हिन्दी के महत्व पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने हिन्दी से संबंधित अपने जीवन के कई उदाहरण देते हुए कहा कि हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो राष्ट्र को एक सूत्र में बांध सकती है। काव्य-गोष्ठी में डा. जीडी चौधरी, सुखचैन ¨सह भंडारी, प्रो. रूप देवगुण, डा. राजकुमार निजात, ज्ञानप्रकाश पीयूष, डा. शील कौशिक, डा. आरती बंसल, पूर्ण ¨सह निराला, जोगेन्द्र ¨सह मुक्ता, करनैल ¨सह, जनकराज शर्मा, चन्द्रकांता वर्मा, प्रो. सुदेश कम्बोज, सम्पूर्ण ¨सह जोश, मेजर शक्तिराज कौशिक, वीरेंद्र ¨सह एडवोकेट, वीरेन्द्र भाटिया, सुरजीत, उर्मिल शर्मा, बालकृष्ण सांवरिया, सुभाष मेहता, प्रदीप सचदेवा, मीनाक्षी मदान व राकेश कुमार जैन ने अपनी रचनाओं द्वारा श्रोताओं को भाव-विभोर किया। पूर्व प्रधानमंत्री व अटलबिहारी वाजपेयी व पंजाबी के साहित्यकार डा. दर्शन¨सह के निधन पर उपस्थितजन द्वारा दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।


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