Move to Jagran APP

बिल के विरोध में निजी चिकित्सक की हड़ताल से पटरी से उतरीं स्वास्थ्य सेवाएं

जागरण संवाददाता सिरसा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर नेशनल मेडिकल कमीशन एनएमसी

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 11:40 PM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 06:38 AM (IST)
बिल के विरोध में निजी चिकित्सक की हड़ताल से पटरी से उतरीं स्वास्थ्य सेवाएं
बिल के विरोध में निजी चिकित्सक की हड़ताल से पटरी से उतरीं स्वास्थ्य सेवाएं

जागरण संवाददाता, सिरसा : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर नेशनल मेडिकल कमीशन एनएमसी बिल के विरोध में देशभर में निजी चिकित्सकों की हड़ताल का सिरसा में असर देखने को मिला। आइएमए से जुड़े जिलेभर के चिकित्सक हड़ताल पर रहे। जिसके चलते निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित रही। हड़ताल के दौरान आपात्तकालीन सेवाएं भी प्रभावित रही। अस्पतालों में आने वाले मरीजों को परेशानी हुई तथा वे वापस लौटते नजर आए। प्रात: छह बजे से शुरू हुई हड़ताल बुधवार को सुबह छह बजे से ही हड़ताल शुरू हो गई। निजी अस्पतालों के बाहर हड़ताल के संबंध में नोटिस चस्पा किए गए। कई निजी अस्पतालों पर ताले भी लटके मिले। अस्पतालों में ओपीडी सुविधा पूरी तरह से बाधित रही। अस्पताल में उपचाराधीन मरीजों का अस्पताल स्टॉफ ने इलाज किया। जबकि नए आने वाले मरीजों को हड़ताल की जानकारी देकर वापस भेज दिया गया। डबवाली रोड पर 20 से अधिक अस्पताल है, हड़ताल के चलते अधिकतर में मरीज नहीं थे । ओपीडी पर पहुंचते ही मरीज को हड़ताल की जानकारी मिली। चिकित्सकों ने आइएमए भवन में किया मंथन

loksabha election banner

एनएमसी बिल के विरोध में आइएमए से जुड़े चिकित्सकों ने आइटीआइ रोड के सामने स्थित आइएमए भवन में बैठक कर मंथन किया। सिरसा जिले में आइएमए से जुड़े 150 चिकित्सक है। बैठक की अध्यक्षता आइएमए प्रधान डा. सतीश बांसल ने की। उन्होंने कहा कि सरकार साढ़े तीन लाख कम्यूनिटी वर्करों के माध्यम से ग्रामीणों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने जा रही है। दसवीं बारहवीं पास युवाओं को छह महीने की ट्रेनिग के बाद लाइसेंस दे दिया जाएगा। वे गांवों में चिकित्सा सेवाएं देंगे जबकि दूसरी तरह चिकित्सक पांच साल तक एमबीबीएस करते है। एक साल इंटर्नशिप करते है उसके बाद भी उन्हें लाइसेंस नहीं मिलता है। उन्होंने बताया कि प्राइवेट मेडिकल कालेजों ने फीसों में बेतहाशा वृद्धि की हुई है। अब इस कालेजों में 50 फीसद सीटें सरकार अपने पास रखेगी, इस निर्णय से ये कालेज और अधिक फीस बढ़ाएंगे। उन्होंने बताया कि इन कालेजों में 720 में से 450-500 अंक लेने वाले विद्यार्थी रुपये न होने के कारण चिकित्सक बनने से वंचित रह जाते हैं जबकि 130 नंबर लेने वाला डोनेशन देकर दाखिला ले लेता है। इस मौके पर डा. विशाल गर्ग, डा. आशीष खुराना, डा. आरएम अरोड़ा, डा. एसपी शर्मा, डा. केके वालिया, डा. रेखा बांसल, डा. अर्चिता अरोड़ा, डा. रश्मि ग्रोवर उपस्थित थे। इमरजेंसी सेवाएं भी रही बाधित हड़ताल के चलते अधिकतर अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं भी बाधित रही। हालांकि आइएमए ने अपने सदस्य चिकित्सकों पर ही छोड़ दिया था कि वे इमरजेंसी की सेवाएं देना चाहते हैं तो दे सकते हैं। परंतु अधिकतर चिकित्सक हड़ताल पर ही रहे तथा निजी अस्पतालों में सभी सेवाएं बाधित रही। हड़ताल के नोटिस देख वापस लौटे मरीज

निजी अस्पतालों में हड़ताल के चलते इलाज करवाने आए मरीजों को वापस लौटना पड़ा। डा. मोहर सिंह के अस्पताल में इलाज करवाने आए नोहर निवासी रामकुमार, रावतसर निवासी कौशल्या देवी ने बताया कि उन्हें हड़ताल के बारे में मालूम नहीं था। अब उन्हें वापस जाना पड़ रहा है। अपेक्स अस्पताल में इलाज करवाने पहुंचे शिव चौक निवासी सोम सिंह ने बताया कि उसके पेट में कई दिनों से दर्द है, वह जांच करवाने आए थे परंतु यहां पहुंच कर उन्हें हड़ताल के बारे में पता चला। संजीवनी अस्पताल में भी सभी सेवाएं बाधित रही। यहां पहुंची रमा देवी ने बताया कि वह अपनी पुत्रवधु रजनी के चेकअप के लिए आई थी परंतु हड़ताल के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.